भारत सरकार ने अवैध आप्रवासन के मुद्दे पर अमेरिका के साथ सहयोग करने की बात कही है। राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच फोन पर बातचीत के दौरान भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे कम से कम 18,000 नागरिकों को वापस लेने पर सहमत हो गया है। यह उड़ान उसी का हिस्सा है।
ट्रम्प के शपथ ग्रहण समारोह के बाद, विदेश मंत्री एस जयशंकर और यूएस के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने द्विपक्षीय बैठकें कीं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका से बिना दस्तावेज वाले भारतीयों की वापसी के लिए तैयार है।
ट्रम्प ने अपने अवैध इमीग्रेशन एजेंडे को पूरा करने में मदद के लिए तेजी से सेना की ओर रुख किया है। ट्रम्प ने अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर अतिरिक्त सैनिक भी भेजे हैं, प्रवासियों को निर्वासित करने के लिए सैन्य विमानों का उपयोग कर रहे हैं और उन्हें रहने के लिए सैन्य अड्डे खोल रहे हैं। अब तक, सैन्य विमान अवैध प्रवासियों को लेकर ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास तक उड़ान भर चुके हैं।
मिलिट्री फ्लाइट हालांकि प्रवासियों को वापस भेजने का एक महंगा तरीका है। लेकिन ट्रम्प तो फिर ट्रम्प है, जो फैसला ले लिया, खर्च की परवाह नहीं करना है। रॉयटर्स के मुताबिक पिछले हफ्ते ग्वाटेमाला के लिए ऐसी उड़ान की लागत प्रति व्यक्ति कम से कम $4,675 थी। भारत आने वाली फ्लाइट का खर्च तो बहुत ज्यादा आएगा, क्योंकि भारत तो बहुत दूर है। ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति अभियान के दौरान आप्रवासन पर सख्त रुख अपनाया था। इस प्रकार, व्हाइट हाउस में पद संभालने के बाद, वह कानूनी और अवैध प्रवासन दोनों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त नीतियां लागू कर रहे हैं।
ट्रम्प प्रशासन अदालती सुनवाई को दरकिनार करते हुए आरोपी आप्रवासियों के निर्वासन में तेजी लाने के लिए 1798 विदेशी शत्रु अधिनियम को लागू करने की भी योजना बना रहा है। इस कानून का आखिरी बार इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया गया था।
अपनी राय बतायें