अमेरिका के कुख्यात डकैत विली सटन से जेल में जब पूछा गया कि वह बैंकों में डकैती क्यों डालता था तो उसका निर्दोष जवाब था, “क्योंकि धन वहीं रखा जाता है”. यह जवाब इतना स्वाभाविक था कि कालांतर में चिकित्सा विज्ञान सहित कई विषयों में “सटन लॉ” लागू किया गया. इसका मूल मंत्र था “जो सबसे सहज कारण हो उस पर पहले भरोसा करें जैसे मरीज की सामान्य खांसी के लक्षण को मौसम परिवर्तन-जनित मान कर प्रारंभिक इलाज या जांच कराना. डकैत सटन ने 1976 में जेल में लिखी अपनी किताब में यह भी कहा कि उपक्रम चाहे जैसा भी हो, लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दिमाग की एकाग्रता और टारगेट की हर छोटी-बड़ी जानकारी हासिल करना सबसे जरूरी पहलू हैं.
भारत में बढ़ती आर्थिक विषमता के मद्देनज़र थॉमस पिकेटी जैसे तमाम अर्थशास्त्रियों की राय रही है कि छोटे से “सुपररिच” वर्ग पर कुछ टैक्स लगा कर गरीबों की मदद की जा सकती है. वित्तमंत्री ने बजट प्रस्तुत करने के बाद दिए गए मीडिया इंटरव्यू में इस सवाल को ख़ारिज करते हुए कहा कि यह उचित नहीं होगा कि और छोटे होते करदाताओं के आधार को हीं ज्यादा निचोड़ा जाये. सीधा मतलब यह हुआ कि सरकार एचएनआईज (हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स) पर किसी किस्म का टैक्स लगा कर “मार्केट सेंटिमेंट” खराब करना नहीं चाहती है.