यूपी की फिजाओं में अब समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड) की चर्चा है। प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने शनिवार को इसके संकेत देकर इसकी पुष्टि कर दी है। उत्तराखंड के बाद यूपी दूसरा ऐसा बीजेपी शासित राज्य है, जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने की बात कही है। समझा जाता है कि 2024 का आम चुनाव आते-आते बीजेपी इसे बड़े मुद्दे के रूप में स्थापित कर देगी। बीजेपी की पूरी मंशा है कि 2024 में होने वाले आम चुनाव से पहले इस पर बहस शुरू हो, ताकि वो मतदाताओं के बीच ध्रुवीकरण करा सके। स्पष्ट है कि मुसलमानों समेत तमाम अल्पसंख्यक और आदिवासी समुदाय इसका विरोध करेंगे।
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इस मुद्दे पर सबसे पहले बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिया था। लेकिन यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी इस पर शनिवार को बोले।
मौर्य ने कहा, इसकी अब वास्तव में जरूरत है, संविधान के तहत सभी के लिए समान कानून होने चाहिए...हमारी सरकार समान नागरिक संहिता को लागू करने जा रही है। सभी बीजेपी शासित राज्यों में सिविल कोड पर गंभीर चर्चा हो रही है।
मौर्य ने कहा, सरकार के सबका साथ-सबका विकास नारे के तहत, यदि समुदायों के लोगों के लिए समान काम किया जा रहा है, तो समान संहिता को भी लागू किया जाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि गैर-बीजेपी नेताओं को भी समान आचार संहिता की मांग करनी चाहिए, लेकिन जब उनके वोट बैंक की बात आती है, तो तुष्टीकरण की राजनीति दिखाई देती है। मौर्य ने कहा, हमारी सरकार समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्ष में है और यह उत्तर प्रदेश राज्य के साथ-साथ देश के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है।
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मौर्य ने कहा, अनुच्छेद 370, राम मंदिर निर्माण और समान नागरिक संहिता के मुद्दे हमेशा बीजेपी के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता रहे हैं। अगर विपक्ष समर्थन करता है तो अच्छा है, अगर विपक्ष समर्थन नहीं करता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम इस पर विचार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सरकार का समर्थन न करने के बाद भी अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया और यूसीसी को भी इसी तरह लागू किया जाएगा।
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