दिल्ली सरकार के अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े केंद्र के अध्यादेश का स्थान लेने वाले विधेयक को लोकसभा में अगले सप्ताह पेश किया जाएगा। शुक्रवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने आगामी सप्ताह में संसद में होने वाले कामकाज की जानकारी देते हुए इसके बारे में बताया।
इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने बीते 25 जुलाई को ‘राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक’ को मंजूरी दे दी थी। केंद्र सरकार पिछले19 मई को दिल्ली में ट्रांसफर - पोस्टिंग से जुड़ा अध्यादेश लेकर आई थी। इसकी अवधि 6 माह ही होती है। ऐसे में केंद्र संसद में विधेयक लाकर इसपर कानून बनाना चाहता है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार या एनडए गठबंधन के पास लोकसभा में तो पर्याप्त बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसे उस विधेयक को पास कराने में मुश्किल आ सकती है।
भाजपा इसे हर हाल में दोनों सदनों से पास करवाना चाहती है वहीं इस विधेयक को लेकर 26 दलों वाले इंडिया गठबंधन ने संसद में इसका विरोध करने का फैसला किया है। इस विधेयक का संसद में विरोध कर विपक्ष अपनी एकता साबित करने की पूरी कोशिश करेगा। अगर विपक्ष इस विधेयक को राज्यसभा में रोकने में कामयाब रहा तो उसकी बड़ी जीत मानी जाएगी।
19 मई को केंद्र लाया था दिल्ली पर अध्यादेश
अपने वरीय अधिकारियों की ट्रांसफर - पोस्टिंग से जुड़े अधिकार को लेकर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट गई थी। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 11 मई को अपना फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को ये अधिकार सौंपे थे। इसके तुरंत बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर इन अधिकारों को प्रयोग करने से दिल्ली सरकार को रोक दिया और दिल्ली में एलजी के निर्णय को ही अंतिम मानने का प्रावधान कर दिया।
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केजरीवाल ने जुटाया विपक्ष का समर्थन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस विधेयक का संसद में विरोध करने के लिए कई राज्यों का दौरा कर विभिन्न विपक्षी दलों को तैयार किया है। इस विधेयक के विरोध में कांग्रेस, जेडीयू, टीएमसी,आरजेडी और एनसीपी आदि 26 विपक्षी दलों का उन्होंने समर्थन जुटाया है।इन पार्टियों ने कहा है कि वे राज्यसभा में बिल के विरोध में वोट करेंगी। अब देखना यह होगा कि वैसे दल जो किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं वह इस विधेयक का समर्थन करेंगे या विरोध। हालांकि माना जा रहा है कि बीआरएस भी विधेयक का विरोध कर सकती है।
भाजपा के पास राज्यसभा में 93 सीटें है। इसमें एनडीए की सभी सीटें जोड़ने पर आंकड़ा 111 का होता है। ऐसे में अगर आंध्रप्रदेश की वाईएसआर कांग्रेस और ओडिसा की बीजेडी जैसे दल यदि केंद्र सरकार के साथ आते हैं तो फिर विधेयक के पास होने की संभावना बढ़ेगी।
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वाईएसआर कांग्रेस पार्टी केंद्र को दे सकती है समर्थन
दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए लाया जा रहा 'नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (संशोधन)विधेयक, 2023 को राज्यसभा में पास कराने के लिए एनडीए गठबंधन को वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का साथ मिल सकता है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार के बिल को अपना समर्थन दे सकती है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को राज्यसभा में नौ और लोकसभा में 22 सांसद हैं।वहीं प्राप्त सूचना के मुताबिक बीजद, बसपा और जदएस का भी साथ दिल्ली विधेयक पर सरकार को परोक्ष रुप से साथ मिल सकता है। इन तीनों दल ने इस विधेयक पर होने वाले मतदान से दूरी बनाने का संदेश दिया है। अगर ऐसा होता है तो विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को राज्यसभा में 115 सदस्यों के ही समर्थन की जरूरत पड़ेगी।
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