पत्रकार रहे स्वपन दासगुप्ता को फिर से राज्यसभा में मनोनीत किया गया है। पश्चिम बंगाल चुनाव से पहले उन्हें विवाद होने पर इस्तीफ़ा देना पड़ा था। बंगाल चुनाव में हारे तो प्रतिनिधि होने की उनकी उम्मीदों को झटका लगा था, लेकिन अब फिर से उन्हें राज्यसभा में मनोनीत कर दिया गया है।
राष्ट्रपति सरकार की सलाह पर प्रसिद्ध व्यक्तियों को उच्च सदन में नामित करते हैं। नामांकित सदस्य साहित्य, विज्ञान, खेल, कला और समाज सेवा जैसे क्षेत्रों से लिए जाते हैं। इन्हीं क्षेत्र से स्वपन दासगुप्ता को भी मनोनीत किया गया है।
इस बारे में गृह मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना जारी की। इसमें कहा गया है कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 80 के खंड (1) के उपखंड (ए) के तहत दिए अधिकारों के तहत राष्ट्रपति स्वपन दासगुप्ता को फिर से राज्यसभा में नामांकित कर रहे हैं। इस अधिसूचना में ही कहा गया है कि वह सीट उनके द्वारा इस्तीफ़ा देने के बाद खाली हुई थी।
बीजेपी ने दासगुप्ता को हुगली जिले की तारकेश्वर सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने दासगुप्ता के नामांकन को लेकर सवाल उठाया था। मोइत्रा ने इस मामले में संविधान की 10वीं अनुसूची के प्रावधानों का हवाला दिया था।
Swapan Dasgupta is BJP candidate for WB polls.
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) March 15, 2021
10th Schedule of Constitution says nominated RS member to be disqualified if he joins any political party AFTER expiry of 6 months from oath.
He was sworn in April 2016, remains unallied.
Must be disqualified NOW for joining BJP. pic.twitter.com/d3CDc9dNCe
इस विवाद के उठने के बाद स्वपन दासगुप्ता को इस्तीफा देना पड़ा था। और अब जब उन्हें फिर से नामित किया गया है तो इसको लेकर भी टिप्पणी की जा रही है।
हालाँकि इस मामले में कोई क़ानूनी पेच तो नहीं है, लेकिन यह संवैधानिक नैतिकता व व्यक्तिगत नैतिकता का सवाल हो सकता है। यह इसलिए कि स्वपन दासगुप्ता चुनाव लड़ने के लिए एक राजनीतिक दल में शामिल होते हैं, राज्यसभा से इस्तीफ़ा देते हैं और फिर चुनाव हारने पर फिर से राज्यसभा चले जाते हैं।
I think this is the FIRST time since the Rajya Sabha came into being in 1952 that such a thing has happened. https://t.co/7Hgfzqycat
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) June 1, 2021
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