बिना पहचान पत्र दिखाए दो हजार रुपए के नोट को बदलने के विरोध में दाखिल एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इंकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले को चुनौती दी गई थी।
इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने कहा कि एक अन्य खंडपीठ ने गर्मी की छुट्टियों के बाद मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इस मामले को पेश करने का निर्देश पहले ही दिया है।
इसके पूर्व एक जून 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में एक याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार किया था। तब वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर जस्टिस सुधांशु धुलिया और केवी विश्वनाथन की अवकाशकालीन बेंच ने कहा था कि यह ऐसा मामला नहीं है, जिसको जल्दी सुनना ज़रूरी हो। उस समय भी खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को गर्मी छुट्टी के बाद सुनवाई का अनुरोध करने को कहा था.
वकील अश्विनी उपाध्याय ने सबसे पहले बिना कोई पहचान पत्र दिखाए दो हजार रुपये के नोट को बैंकों द्वारा बदले जाने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका डाली थी। याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
2 हजार के 50 प्रतिशत नोट वापस आ गए
वहीं रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शशिकांत दास ने गुरुवार को बताया था कि दो हजार के नोट के रूप में अब तक 1.8 लाख करोड़ रुपये बाजार से वापस आ गए हैं। आरबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस साल 31 मार्च को दो हजार के नोट के रूप में 3.6 लाख करोड़ रुपये बाजार में थे। इस तरह से बाजार के 50 प्रतिशत दो हजार के नोट बैंको में वापस आ गए हैं।
23 मई से दो हजार के नोट वापस ले रहे हैं बैंक
19 मई 2023 को आरबीआई ने 2 हजार के नोट को बाजार से वापस लेने की घोषणा की थी। इसके बाद पिछली 23 मई से बैंकों के माध्यम से 2 हजार के नोट को बदलने की शुरुआत की गई है। 30 सितंबर तक इसे बदला जा सकता है।
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