अनुच्छेद 370 से जुड़े मामले में सुनवाई के दौरान जम्मू कश्मीर को विभाजित करने पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। इसने पूछा कि आख़िर अगस्त 2019 में सीमावर्ती राज्य जम्मू कश्मीर के विभाजन की क्या ज़रूरत थी। अदालत ने कहा कि जम्मू और कश्मीर अपने आप में अनोखा नहीं है और पंजाब व पूर्वोत्तर को भी जम्मू कश्मीर की तरह की स्थितियों का सामना करना पड़ा है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट इस ओर इशारा कर रहा था कि जम्मू कश्मीर की तरह ही पंजाब और पूर्वोत्तर के राज्यों से भी अंतरराष्ट्रीय सीमाएँ लगती हैं और ये राज्य भी आतंकवाद से ग्रसित रहे थे।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर गुजरात या मध्य प्रदेश को विभाजित किया गया तो पैरामीटर अलग होंगे। बेंच में शामिल न्यायमूर्ति एसके कौल ने बताया कि देश में कई राज्यों की सीमाएँ हैं।
मेहता ने जवाब दिया कि सभी पड़ोसी देश मित्रवत नहीं हैं और जम्मू-कश्मीर के इतिहास और वर्तमान स्थिति - पथराव, हड़ताल, मौतें और आतंकवादी हमले को देखते हुए जम्मू-कश्मीर को मुख्यधारा में लाने की ज़रूरत है।
अदालत में यह भी कहा गया कि एक बार जब आप प्रत्येक भारतीय राज्य के संबंध में वह शक्ति संघ को सौंप देते हैं, तो आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि जिस प्रकार के दुरुपयोग की उन्हें आशंका है, इस शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया जाएगा?
सीजेआई ने सवाल किया, 'क्या संसद के पास मौजूदा भारतीय राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदलने की शक्ति है?'
अपनी राय बतायें