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मोदी तो नहीं गए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 6 जज क्यों जा रहे हैं मणिपुर?

मणिपुर में हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए कानूनी और मानवीय सहायता को मजबूत करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के छह जज 22 मार्च को राज्य के राहत शिविरों का दौरा करेंगे। यह कदम राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के मिशन के तहत उठाया जा रहा है, जिसका उद्देश्य प्रभावित समुदायों को न्याय और सहायता प्रदान करना है।

3 मई, 2023 को मणिपुर में शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा के लगभग दो साल बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हुई है। इस हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान गई और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए। आज भी हजारों लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। NALSA के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के जजों का यह दौरा इन प्रभावित समुदायों की कानूनी और मानवीय जरूरतों को उजागर करता है। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हिंसाग्रस्त मणिपुर के लोगों से सहानुभूति जताने पीएम मोदी आज तक नहीं गए। विपक्ष ने यह मांग संसद से लेकर सड़क तक की। लेकिन मोदी नहीं पसीजे और मणिपुर नहीं गए।

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लाइव लॉ के मुताबिक इस दौरे का नेतृत्व जस्टिस भूषण आर. गवई करेंगे, जो NALSA के कार्यकारी अध्यक्ष हैं। उनके साथ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एम.एम. सुंदरेश, जस्टिस के.वी. विश्वनाथन और जस्टिस एन. कोटेश्वर सिंह भी शामिल होंगे। यह प्रतिनिधिमंडल राहत शिविरों में रह रहे लोगों से मिलेगा और उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश करेगा।
इस दौरे के दौरान जस्टिस गवई मणिपुर के सभी जिलों में कानूनी सेवा शिविरों और चिकित्सा शिविरों का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। इसके अलावा, इम्फाल पूर्व, इम्फाल पश्चिम और उखरूल जिलों में नए विधिक सहायता क्लीनिक शुरू किए जाएंगे। इन शिविरों के जरिए विस्थापित लोगों को आवश्यक राहत सामग्री भी बांटी जाएगी। NALSA ने बताया कि ये कानूनी सेवा शिविर आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (IDPs) को सरकारी योजनाओं से जोड़ने में मदद करेंगे, ताकि उन्हें स्वास्थ्य सेवा, पेंशन, रोजगार योजनाएं और पहचान दस्तावेजों को फिर से बनाने जैसी सुविधाएं मिल सकें।

NALSA और मणिपुर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (MASLSA) ने मिलकर पहले ही राहत शिविरों में 273 विशेष विधिक सहायता क्लीनिक स्थापित किए हैं। ये क्लीनिक विस्थापित लोगों को सरकारी लाभ, खोए हुए दस्तावेजों की बहाली और चिकित्सा सहायता प्रदान करने में मदद कर रहे हैं। इस दौरे से इन प्रयासों को और बल मिलेगा।

यह दौरा मणिपुर हाई कोर्ट की 12वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित किया जा रहा है। NALSA का कहना है कि यह कदम हाशिए पर पड़े और कमजोर समुदायों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। संगठन का लक्ष्य कानूनी अधिकारों और उनकी पहुंच के बीच की खाई को पाटना है, ताकि हर विस्थापित व्यक्ति को अपने जीवन को गरिमा के साथ दोबारा शुरू करने के लिए जरूरी सहायता, सुरक्षा और संसाधन मिल सकें।

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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों का यह कदम मणिपुर में शांति और पुनर्वास की दिशा में एक सकारात्मक संदेश देगा। हालांकि, जमीन पर स्थिति को सामान्य करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। यह दौरा हिंसा प्रभावित लोगों के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है, बशर्ते इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहे।

कुल मिलाकर, यह पहल न केवल मणिपुर के लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश है, बल्कि देश की सर्वोच्च अदालत की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को भी दर्शाती है। अब नजर इस बात पर रहेगी कि यह दौरा कितना प्रभावी साबित होता है।

रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी
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