चुनाव आयोग ने मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने का फ़ैसला किया है। इस क़दम का मक़सद मतदाता सूची को सही करना और दोहरे मतदाताओं की समस्या से निपटना बताया जा रहा है। हालाँकि, इस योजना के सामने कानूनी अड़चनें भी हैं। चुनाव आयोग और गृह मंत्रालय, कानून मंत्रालय, आईटी मंत्रालय व यूआईडीएआई के अधिकारियों की बैठक में इस पर रणनीति बनाई गई। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह प्रक्रिया सचमुच मतदाता सूची को बेहतर कर पाएगी, या फिर यह विवादों को और बढ़ाएगी?
क्या वोटर आईडी-आधार लिंकिंग आसान, सही वोटरों के नाम तो नहीं कटेंगे?
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- 19 Mar, 2025
चुनाव आयोग ने वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू की, लेकिन इसमें कई क़ानूनी अड़चनें हैं। विपक्ष ने इसे मतदाता अधिकारों पर हमला बताया। जानें पूरी जानकारी।

चुनाव आयोग का कहना है कि आधार लिंकिंग से मतदाता सूची में दोहरे मतदाताओं को हटाया जा सकेगा और मतदाताओं की पहचान को पुख्ता किया जा सकेगा। चुनाव आयोग का कहना है कि 2023 तक उसके पास 66 करोड़ से अधिक मतदाताओं ने आधार की जानकारी स्वैच्छिक रूप से दे दी थी, लेकिन अभी तक इनका डेटाबेस लिंक नहीं हुआ। अब यूआईडीएआई के साथ मिलकर इसे लागू करने की योजना है। यह प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के तहत होगी, जो मतदाता पहचान सत्यापन के लिए आधार मांगने का अधिकार देती है। कहा जा रहा है कि इसके साथ ही, इसका प्रावधान भी है कि आधार न देने पर किसी को मतदाता सूची से नहीं हटाया जाएगा।