सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद में दिए गए फ़ैसले के ख़िलाफ़ दायर की गई सभी पुनर्विचार याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फ़ैसले में विवादित जगह को रामलला का बताते हुए मसजिद के लिए दूसरी जगह 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया था। कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ 18 पुनर्विचार याचिकाएँ दायर की गई थीं। इनमें ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े ने भी याचिका दायर की थी। जमीअत-उलेमा-ए-हिंद की ओर से मौलाना सैयद अशाद राशिदी ने पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इसके अलावा अखिल भारत हिंदू महासभा और अन्य संगठनों की ओर से भी पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की पाँच सदस्यीय बेंच ने बृहस्पतिवार को सभी पुनर्विचार याचिकाओं के मामले में सुनवाई की। पीठ की अध्यक्षता चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (सीजेआई) एस.ए. बोबडे कर रहे थे और जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, अशोक भूषण, एस. अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना इस बेंच में शामिल हैं।
कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि केंद्र सरकार तीन महीने में ट्रस्टी बोर्ड गठित करे और मंदिर के ट्रस्टी बोर्ड में निर्मोही अखाड़ा को उचित प्रतिनिधित्व दे। कोर्ट ने ज़मीन को तीन हिस्सों में बाँटने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को भी ग़लत बताया था।
याचिका दायर करने का किया था विरोध
देश भर की जानी-मानी 100 मुसलिम हस्तियों ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर करने के बोर्ड के क़दम का विरोध किया था। इनमें शबाना आज़मी और नसीरुद्दीन शाह भी शामिल हैं। इनका कहना था कि इस मुद्दे को जिंदा रखने से मुसलिम समुदाय को फ़ायदा नहीं होगा। अयोध्या विवाद मामले में मुसलिम पक्षकार रहे इक़बाल अंसारी ने भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला उन्हें मंजूर है और देशभर के लोगों को इसका स्वागत करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि पुनर्विचार याचिका से उनका कोई लेना-देना नहीं है। इक़बाल अंसारी के पिता हाशिम अंसारी ने लंबे समय तक इस मामले में मुक़दमा लड़ा था।
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