संसद में और अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर, बीजेपी सांसदों ने पिछले हफ्ते लोकसभा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधने के लिए मीडिया पार्ट और ओसीसीआरपी की रिपोर्ट का हवाला दिया था। भाजपा ने रिपोर्ट को तोड़ मरोड़कर पेश करते हुए आरोप लगाया था कि अमेरिकी अरबपति सोरोस और अमेरिकी विदेश विभाग के कथित समर्थन से पीएम मोदी को निशाना बनाने का आरोप लगाया। लेकिन भाजपा पूरी निर्लज्जता से अडानी घूस कांड में सामने आए आरोपों पर चुप्पी साधे हुए है। जबकि अडानी घूसकांड का पर्दाफाश एफबीआई और अमेरिकी न्याय विभाग ने किया है। जिसमें भारतीय अधिकारियों को अडानी समूह द्वारा 2000 करोड़ से ज्यादा की घूस देने का आरोप है।
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हालाँकि, भारत में अमेरिकी दूतावास ने एक बयान में कहा कि यह "निराशाजनक" है कि भारत में सत्तारूढ़ दल (भाजपा) इस प्रकार के आरोप लगा रहा है।
भाजपा सांसद संबित पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावों को दोहराया, आरोप लगाया कि अमेरिकी विदेश विभाग इस कोशिश में शामिल था। पात्रा ने उसी रिपोर्ट के आधार पर राहुल गांधी को गद्दार तक कहा था। लेकिन अब सामने आ गया है कि जिस रिपोर्ट के आधार पर भाजपा नेता आरोप लगा रहे थे वो रिपोर्ट ही फर्जी थी या उसे तोड़ मरोड़कर पेश किया गया था।
2018 के बाद से, मीडियापार्ट ने मोदी सरकार द्वारा फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू जेट की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कई रिपोर्ट प्रकाशित की थीं। मोदी सरकार और बीजेपी लगातार आरोपों को खारिज करती रही है। दिसंबर 2023 में राफेल सौदे पर मीडियापार्ट की सबसे हालिया रिपोर्ट में नई दिल्ली पर भ्रष्टाचार के दावों की फ्रांसीसी न्यायिक जांच में बाधा डालने का आरोप लगाया गया। एक तरफ तो भाजपा और मोदी सरकार मीडिया पार्ट की उन रिपोर्टों को खारिज कर रहे हैं, दूसरी तरफ वो उसी कंपनी की अन्य रिपोर्ट को उठाकर राहुल गांधी और पूरी कांग्रेस पर हमला कर रहे हैं।
मीडियापार्ट ने पिछले साल दिसंबर की एक रिपोर्ट में लिखा था, "यह अब एक स्थापित तथ्य है: अति-राष्ट्रवादी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 36 राफेल लड़ाकू जेट की बिक्री से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले को हर कीमत पर दफनाना चाहते हैं।"
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