‘अखबारों में मेरी बेटी इंदिरा की फ़ीरोज गाँधी के साथ सगाई के बारे में खबर प्रकाशित हुई है। लोग मुझसे भी इस बारे में पूछ रहे हैं। इसलिए मैं इस खबर की पुष्टि करता हूं… मेरी लंबे समय से यही मान्यता है कि शादी के मामलों में माता-पिता को लड़के-लड़की को सलाह देनी चाहिए, लेकिन अंतिम फैसला लड़का और लड़की को ही करना है…जब मुझे इस बात की तसल्ली हो गई कि इंदिरा और फ़ीरोज एक दूसरे से शादी करना चाहते हैं तो मैंने खुशी से उनके फैसले को स्वीकार कर लिया और उन्हें अपना आशीर्वाद दिया… महात्मा गांधी ने भी इस प्रस्ताव को शुभकामनाएं दी हैं… फ़ीरोज नौजवान पारसी हैं। वह कई वर्षों से हमारे परिवार के मित्र और साथी रहे हैं, बल्कि मैं तो उन्हें देश के काम और आज़ादी की लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भागीदार के तौर पर देखता हूँ। मेरी बेटी ने जिस किसी से भी प्रेम किया होता, मैं उसकी पसंद को कबूल कर लेता। अगर मैं ऐसा नहीं करता तो मैं उन सिद्धांतों से नीचे गिर जाता, जिन्हें मैंने हमेशा मान्यता दी है।’