इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को लेकर एक बार फिर दिग्गज नेता और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार ने सवाल उठाया है। महाराष्ट्र के सतारा में शरद पवार ने कहा, ‘हैदराबाद और गुजरात में मेरे सामने किसी ने ईवीएम रखीं और मुझसे बटन दबाने को कहा गया। मैंने अपनी पार्टी (एनसीपी) का चुनाव चिह्न घड़ी के सामने वाला बटन दबाया, लेकिन वोट बीजेपी के चुनाव चिह्न कमल पर गया। यह मैंने अपनी आँखों से देखा है।’ शरद पवार के दावे के बाद एक बार फिर यह सवाल खड़ा हुआ है कि क्या ईवीएम पर भरोसा किया जा सकता है और क्या ईवीएम से देश में निष्पक्ष चुनाव संभव हैं।पवार ने कहा कि यह उनका ख़ुद का अनुभव है इसलिए वह ईवीएम से वोटिंग के बारे में चिंता व्यक्त कर रहे हैं। पवार ने यह भी कहा कि हो सकता है, सभी मशीनों में ऐसा न होता हो, लेकिन जो उन्होंने होते हुए देखा वह चिंतित करने वाला है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार ने कहा कि इसीलिए हम न्याय माँगने अदालत के दरवाजे तक गए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी दलों द्वारा इस संबंध में दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी, सीपीएम और तेलगु देशम समेत कुल 21 पार्टियों ने याचिका में अदालत से आग्रह किया था कि ईवीएम के 50 फ़ीसदी नतीजों का चुनावों के परिणाम की घोषणा किए जाने से पहले वीवीपैट के साथ मिलान किया जाना चाहिए।
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने भी लोकसभा चुनाव के दौरान चिंता जाहिर की थी कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। नायडू ने यह भी कहा था कि रुस में बैठे लोग भारत की ईवीएम हैक कर रहे हैं।
ईवीएम पर लंबे अरसे से सवाल उठते रहे हैं। कर्नाटक से लेकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम, और गुजरात तक विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनावों तक में ईवीएम में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं।
एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव, बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने भी पहले, दूसरे चरण के मतदान के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी को लेकर सवाल उठाए थे। जबकि चुनाव आयोग का दावा है कि न तो इन ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है न ही उसे हैक किया जा सकता है और यह पूरी तरह फ़ुल प्रूफ़ है।
बीजेपी पर उसकी सहयोगी शिवसेना ने भी लोकसभा चुनाव से पहले क़रारा वार करते हुए कहा था कि अगर ईवीएम से चुनाव हो तो लंदन और अमेरिका में भी बीजेपी चुनाव जीत सकती है।
आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने 2017 में दिल्ली विधानसभा में ईवीएम को हैक करने का दावा किया था और इसके बाद पूरे देश में तहलका मच गया था। लेकिन चुनाव आयोग ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि विधायक भारद्वाज द्वारा इस्तेमाल की गई वोटिंग मशीन चुनाव आयोग की ईवीएम से सिर्फ़ देखने में एक जैसी है, लेकिन उसके फ़ीचर ईवीएम जैसे नहीं हैं। इसलिए ईवीएम हैक करने का दावा पूरी तरह ग़लत है।
ग़ौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव के बाद विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया था कि वोटिंग के दौरान ईवीएम में गड़बड़ी की गई है और इसका फ़ायदा बीजेपी को मिला। मायावती ने उठाए थे सवाल उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिली प्रचंड जीत के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी ईवीएम पर सवाल खड़े किए थे। इसके अलावा कांग्रेस और अन्य कई दल भी ईवीएम की जगह बैलट पेपर से चुनाव कराने की माँग करते रहे हैं। ईवीएम की विश्वसनीयता कायम रखने के लिए ही आयोग इस बार सभी सीटों पर वीवीपैट (वोटर वैरिफ़ाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन लोगों ने इसके बाद भी गड़बड़ी की शिकायत की है।
लोकसभा चुनाव के अब तक हुए सभी चरणों में कहीं न कहीं पर ईवीएम को लेकर शिकायत सामने आई है। इसे लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग में शिकायत भी दर्ज कराई है। लगभग हर चुनाव में ईवीएम में गड़बड़ी की ख़बरें सामने आती हैं। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या चुनाव आयोग के निष्पक्ष चुनाव कराने के दावों पर यकीन किया जा सकता है?
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