1942 में जब ब्रिटिश भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा की गई, तो स्वरूपानंद सरस्वती भी आंदोलन में शामिल हो गए, जो 19 साल की उम्र में स्वतंत्रता सेनानी बन गए। वो वाराणसी में नौ महीने और मध्य प्रदेश की जेलों में छह महीने कैद रहे।
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हाईकोर्ट ने 5 मई 2015 को सुनाए गए फैसले में स्पष्ट कहा था कि वासुदेवानंद शंकराचार्य शब्द का इस्तेमाल अपने नाम के आगे नहीं कर सकते। लेकिन बीजेपी ने वासुदेवाचार्य को राम मंदिर ट्रस्ट में रखकर इस बहाने से उनको मान्यता दे दी, जिसे अदालत तक ने शंकराचार्य स्वीकार नहीं किया था। स्वामी स्वरूपानंद ने इसके लिए बीजेपी और आरएसएस की खुलकर आलोचना की थी।
स्वामी स्वरूपानंद के विचार बहुत स्पष्ट होते थे। वो इस बात की जरा भी परवाह नहीं करते थे कि नेताओं को क्या अच्छा लगेगा और क्या बुरा लगेगा। वो कई बार कांग्रेस की नीतियों का समर्थन करते नजर आते थे, इससे बीजेपी परेशान हो जाती थी।
राम मंदिर को लेकर विहिप से जमकर टकराये
शंकराचार्य स्वामी स्परूपानंद सरस्वती ने राम जन्मभूमि न्यास को लेकर विश्व हिन्दू परिषद और भारतीय जनता पार्टी को जमकर घेरा था। कोर्ट भी गये। लंबी कानूनी लड़ाई उन्होंने लड़ी। राम मंदिर विवाद सुर्खियों में रहने के दौरान सबसे पहले स्वामी जी ने कहा था, ‘अयोध्या में मंदिर के नाम पर बीजेपी-विहिप अपना कार्यालय बनाना चाहते हैं, यह हमें मंजूर नहीं है। हिंदुओं में शंकराचार्य ही सर्वाेच्च होता है। हिंदुओं के सुप्रीम कोर्ट हम ही हैं। मंदिर का एक धार्मिक रूप होना चाहिए, लेकिन यह लोग इसे राजनीतिक रूप देना चाहते हैं, जो मान्य नहीं है।’
सोमवार को दी जायेगी समाधि
शंकराचार्य के शिष्य ब्रह्म विद्यानंद के अनुसार स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार 12 सितंबर को शाम 5 बजे नरसिंहपुर जिले के झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी।
श्रद्धांजलि का तांता
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया, ‘शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सनातन धर्म के शलाका पुरुष एवं सन्यास परम्परा के सूर्य थे।’ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन को संत समाज की अपूरणीय क्षति बताया है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट में कहा, ‘हमारे पूज्य गुरुदेव जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के देवलोक गमन की खबर मेरे लिए गहरे आघात जैसी है और बड़ी व्यक्तिगत क्षति है। वे मेरे मार्गदर्शक तो थे ही, मेरे बहुत बड़े शुभचिंतक भी थे। कुछ मुख्य श्रद्धांजलियां शंकराचार्य के निधन के समाचार में लगाई गई हैं। जिनमें प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की श्रद्धांजलियां शामिल हैं।
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