मोदी सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने मंगलवार (17 दिसंबर) को संसद को बताया कि सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई "व्यवसाय-आधारित" है। यह जाति-आधारित कार्य नहीं है। उसने यह बात देश के तमाम शहरों और कस्बों में सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई कर्मचारियों (एसएसडब्ल्यू) के अपने पहले सर्वेक्षण के आंकड़ों के जरिये कही है। अगर आप लोगों को याद हो कि मोदी ने इलाहाबाद (प्रयागराज) में कुछ सफाईकर्मियों के पैर धोये थे। लेकिन वो सभी एससी समुदाय से थे।
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देश में सीवर सफाई के दौरान 2014 से अब तक 453 मौतें हुई हैं। यह सरकारी आंकड़ा है। देश में 2014 से भाजपा-आरएसएस की सरकार है, जिसे नरेंद्र मोदी चला रहे हैं।
केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले ने सदन को बताया कि इनमें से अधिकतम 37,060 (या 67.91%) दलित वर्ग से हैं, इसके बाद 8,587 (15.73%) ओबीसी और 4,536 (8.31%) एसटी वर्ग से हैं, उन्होंने कहा कि सिर्फ 4,391 या 8.05% सफाई कर्मचारी सामान्य श्रेणी से हैं। इसके बाद मंत्री ने फरमाया कि मंत्री ने कहा, "सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई का काम जाति आधारित नहीं बल्कि व्यवसाय आधारित गतिविधि है।"
मंत्रालय ने बताया कि ओडिशा और तमिलनाडु के एसएसडब्ल्यू डेटा को केंद्रीय डेटाबेस में एकीकृत करने की कोशिश चल रही है, जिसका उद्देश्य सफाई कर्मचारियों की "सुरक्षा, गरिमा और सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण" तय करना है।
उन्होंने बताया कि ऐसे सफाई कर्मचारियों को नमस्ते योजना के तहत “आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयों (ईआरएसयू) के लिए कुल 16,791 पीपीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किट और 43 सुरक्षा उपकरण किट की आपूर्ति की गई है। 13,604 लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं।
केंद्र ने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की शुरुआत के बाद से, नगर पालिकाओं, नगर पालिकाओं और ऐसे अन्य संगठनों में श्रमिकों के लिए सीवर और सेप्टिक टैंक की खतरनाक सफाई की रोकथाम पर कुल 837 वर्कशॉप आयोजित की गई हैं।
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