मोदी सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय ने मंगलवार (17 दिसंबर) को संसद को बताया कि सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई "व्यवसाय-आधारित" है। यह जाति-आधारित कार्य नहीं है। उसने यह बात देश के तमाम शहरों और कस्बों में सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई कर्मचारियों (एसएसडब्ल्यू) के अपने पहले सर्वेक्षण के आंकड़ों के जरिये कही है। अगर आप लोगों को याद हो कि मोदी ने इलाहाबाद (प्रयागराज) में कुछ सफाईकर्मियों के पैर धोये थे। लेकिन वो सभी एससी समुदाय से थे।
सीवर की सफाई में 92% एससी-ST-OBC, पर मोदी सरकार का कुछ और कहना है
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- 29 Mar, 2025
देश में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई में 92 फीसदी लोग दलित, एसटी और ओबीसी समुदायों से आते हैं लेकिन मोदी सरकार संसद को बता रही है कि यह थोपा गया जातिगत पेशा नहीं बल्कि प्रोफेशन आधारिक पेशा है यानी जो लोग इस काम में लगे हैं, उन्होंने इसे खुद चुना है। वो अपनी जाति के कारण इसमें नहीं हैं। इससे संबंधित रिपोर्ट सरकार ने संसद में पेश की है। जानिये इसमें और क्या हैः
