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गौतम अडानी और सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच

सेबी प्रमुख की सफाई ने तो अडानी से संबंधों की पुष्टि की, हिंडनबर्ग का फिर हमला

हिंडनबर्ग रिसर्च और भारतीय शेयर बाजार अथॉरिटी सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच का विवाद और बढ़ गया है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी समूह पर हितों के टकराव और वित्तीय अनियमितता का ताजारोप लगाया है। सेबी प्रमुख बुच और उनके पति धवल बुच द्वारा दिग्गज भारतीय कारोबारी गौतम अडानी की कंपनियों के प्रति उदारता के आरोपों का खंडन करने के बाद अमेरिकी शॉर्ट-सेलर ने ताजा हमला किया। माधबी, धवल और अडानी समूह ने हिंडनबर्ग के दावों को "निराधार आरोप और आक्षेप" बताया था। लेकिन दोनों की सफाई के बाद मामला शीशे की तरह और साफ हो गया।

हिंडनबर्ग, जो पिछले साल जनवरी में अडानी समूह की कंपनियों पर कॉर्पोरेट अनियमितता और स्टॉक हेराफेरी का आरोप लगाया था। सेबी ने इस मामले में जांच के नाम पर खानापूरी की। हिंडनबर्ग की दो दिन पहले आई नई रिपोर्ट में कहा गया कि किस तरह सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच, उनके पति धवल बुच के अडानी समूह से संबंध हैं और किस तरह बुच परिवार ने अडानी समूह में निवेश कर रखे हैं। हिंडनबर्ग ने दावा किया कि उसने सरकारी दस्तावेजों के हवाले से ही आरोप लगाए हैं। 

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हिंडनबर्ग ने एक्स पर एक बयान में कहा, "हमारी रिपोर्ट पर सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच की प्रतिक्रिया में कई महत्वपूर्ण स्वीकारोक्ति शामिल हैं और कई नए महत्वपूर्ण सवाल खड़े हुए हैं।" यानी माधबी बुच ने अपनी सफाई देते हुए आरोपों को स्वीकार कर लिया है और इससे नए सवाल खड़े हो गए हैं।

बुच के किसी भी गलत काम नहीं करने के दावों पर पलटवार करते हुए, हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि इसकी रिपोर्ट पर उनकी प्रतिक्रिया अनिवार्य रूप से पुष्टि करती है कि उन्होंने गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी द्वारा कथित तौर पर निकाले गए धन के साथ एक अस्पष्ट बरमूडा/मॉरीशस फंड में निवेश किया था।

हिंडनबर्ग ने कहा- "उन्होंने (माधबी बुच) ने यह भी पुष्टि की कि यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त द्वारा चलाया गया था, जो उस समय अडानी के डायरेक्टर थे। सेबी को अडानी मामले से संबंधित निवेश फंडों की जांच करने का काम सौंपा गया था, जिसमें माधबी बुच के व्यक्तिगत फंड भी शामिल थे। एक ही प्रायोजक द्वारा निवेश और धन, जिसे विशेष रूप से हमारी मूल रिपोर्ट में उजागर किया गया था, यह स्पष्ट रूप से हितों का एक बड़ा टकराव है।”

शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग ने बुच पर सेबी प्रमुख के रूप में कार्य करते हुए सक्रिय परामर्श फर्मों को बनाए रखने का भी आरोप लगाया। बुच की परामर्श कंपनियों की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए, जिसे उन्होंने सिंगापुर में अपने समय के दौरान स्थापित किया था, फर्म ने नोट किया कि इनमें से एक कंपनी, एगोरा एडवाइजरी लिमिटेड (इंडिया) पर अभी भी 99 फीसदी मालिकाना हक बुच के पास है और वह आमदनी कमा रही हैं, जबकि उन्हें अडानी समूह की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया कि बुच ने सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में काम करते हुए अपने पति के नाम के तहत व्यापारिक लेनदेन के लिए अपने निजी ईमेल का इस्तेमाल किया।

बुच के बयान में 'पूर्ण पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता' का वादा किया गया है। इसे देखते हुए, क्या वह सार्वजनिक रूप से सिंगापुर की ऑफशोर कंसल्टिंग फर्म, भारतीय कंसल्टिंग फर्म और किसी अन्य संस्था के जरिए परामर्श देने वाले ग्राहकों की पूरी सूची और संलग्नताओं का विवरण जारी करेगी?"


-हिंडनबर्ग रिपोर्ट, 11 अगस्त 2024 सोर्सः हिंडनबर्ग एक्स हैंडल

हिंडनबर्ग ने यह भी पूछा है कि अंततः, क्या सेबी अध्यक्ष इन मुद्दों की पूर्ण, पारदर्शी और सार्वजनिक जांच के लिए प्रतिबद्ध होंगी।

बुच पति-पत्नी और उनकी सहयोगी कंपनी, 360-वन ने किसी भी गलत काम से इनकार किया, और दावा किया कि विचाराधीन फंड ने कभी भी अडानी सिक्योरिटीज में निवेश नहीं किया। उन्होंने यह भी कहा कि बुच पति-पत्नी के पास फंड में मामूली हिस्सेदारी है और निवेश निर्णयों पर उनका कोई प्रभाव नहीं है। यानी सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने यह तो मान ही लिया कि शेयर मार्केट से कमाई में उनकी पुरी दिलचस्पी है। सोचने की बात है कि अगर सेबी प्रमुख ही शेयर मार्केट में निवेश करेंगी तो क्या तमाम चीजें प्रभावित नहीं होंगी। क्योंकि सेबी के पास तो सभी कंपनियों की मूल जानकारी होती है, जिसे आम निवेशक जानते तक नहीं हैं।

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इस बीच, सेबी ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले से निपटने का बचाव करते हुए कहा कि 24 में से 23 जांच पूरी हो चुकी हैं, एक बंद होने वाली है। सेबी ने लंबी प्रक्रिया के लिए बोझिल प्रवर्तन प्रक्रियाओं को जिम्मेदार ठहराया। नियामक ने हिंडनबर्ग रिसर्च के खिलाफ भी अपनी कार्यवाही शुरू की है, जिसमें न्यूयॉर्क मुख्यालय वाली कंपनी पर कम बिक्री से लाभ के लिए भ्रामक खुलासे करने का आरोप लगाया गया था।

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क़मर वहीद नक़वी
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