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अवमानना केस: कुनाल कामरा को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

स्टैंडअप कॉमेडियन कुनाल कामरा और कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा को सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की अवमानना मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दोनों के ख़िलाफ़ अलग-अलग याचिकाएँ दायर की गई हैं और इसमें अदालत की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की इजाज़त माँगी गई है। अटॉर्नी जनरल ने पहले ही इसकी इजाज़त दे दी है और अब सुप्रीम कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया है। कुनाल कामरा पर यह कार्यवाही उनके ट्वीट को लेकर की गई है जबकि तनेजा पर सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा कार्टून बनाने के लिए।

नोटिस का जवाब देने के लिए उन्हें छह हफ़्ते का समय दिया गया है। हालाँकि इसके साथ ही कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से अदालत में मौजूद रहने से छूट दी है। 

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दोनों को जारी किए गए नोटिस में पूछा गया है कि 'न्यायपालिका पर लांछन लगाने' के लिए क्यों न उनके ख़िलाफ़ अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। 

कुनाल कामरा के ख़िलाफ़ कम से कम दो मामलों में अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अटॉर्नी जनरल ने इजाज़त दी है। दोनों मामले कामरा के ट्वीट से जुड़े हैं। कामरा ने हाल के दिनों में एक के बाद एक कई ट्वीट किये हैं जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई के फ़ैसले की आलोचना की है।

कुनाल कामरा ने सीजेआई एस ए बोबडे के ख़िलाफ़ ताज़ा ट्वीट 18 नवंबर को किया था। इस पर इलाहाबाद के एक वकील अनुज सिंह ने अवमानना केस चलाने के लिए अटॉर्नी जनरल से अनुमति माँगी थी।अवमानना केस के लिए अनुमति माँगे जाने पर अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने 21 नवंबर को सहमति देते हुए लिखा था कि वह ट्वीट 'पूरी तरह अश्लील और घृणित' था। उन्होंने कहा कि ट्वीट से जानबूझकर सीजेआई का अपमान किया गया है और उस सुप्रीम कोर्ट का भी जिसका वह नेतृत्व करते हैं। अटॉर्नी जनरल ने आगे कहा था,

मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह (ट्वीट) भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार को कम करने के साथ-साथ इस विश्वास को भी डिगाएगा जो न्याय मांगने वाली जनता का सर्वोच्च न्यायालय की संस्था में है…। इस वजह से सहमति प्रदान करता हूँ।


के.के. वेणुगोपाल, अटॉर्नी जनरल

इससे पहले 12 नवंबर को भी अटॉर्नी जनरल ने कामरा के ख़िलाफ़ एक अवमानना मामले की मंजूरी दी थी। तब उन्होंने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जेल में बंद अर्णब गोस्वामी को ज़मानत दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी की थी। 
sc issues notices to kunal kamra and rachita taneja in contempt case - Satya Hindi
अर्णब गोस्वामी को ज़मानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर निराशा जताई थी कि हाई कोर्ट किसी नागरिक की व्यक्तिगत आज़ादी की सुरक्षा के लिए अपने न्यायिक अधिकारों का प्रयोग करने में असफल रहा। इसने कहा कि अगर यह अदालत आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करती है तो यह विनाश के रास्ते पर ले जाने वाला होगा। 
अर्णब गोस्वामी की ज़मानत मामले में कुनाल कामरा ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए थे। इस पर क़ानून के एक छात्र और दो वकीलों ने अवमानना का केस चलाने के लिए मंजूरी माँगी थी। 24 घंटे के अंदर ही एटॉर्नी जनरल ने अनुमति दे दी थी।

एटॉर्नी जनरल द्वारा मंजूरी दिए जाने के बाद कुनाल कामरा ने इस मामले में अपनी सफ़ाई दी और कहा था कि वह न तो वकील करेंगे और न ही माफ़ी माँगेंगे, जुर्माना भरेंगे। उन्होंने जजों और केके वेणुगोपाल को संबोधित एक ख़त लिखा और उसे ट्वीट किया था। उन्होंने ट्वीट में लिखा था, 'मेरा इरादा अपने ट्वीट को वापस लेने या उनसे माफ़ी माँगने का नहीं है। मेरा मानना ​​है कि वे ख़ुद इसका अर्थ समेटे हुए हैं।' उन्होंने उसमें लिखा है कि हाल में जो ट्वीट मैंने किए हैं उन्हें अदालत की अवमानना माना गया है। उन्होंने लिखा है कि मेरे नज़रिए से 'प्राइम टाइम स्पीकर' के पक्ष में पक्षपाती फ़ैसला के लिए ये ट्वीट थे। 

बता दें कि रचिता तनेजा ने अपने ट्वीट में सुप्रीम कोर्ट में अर्नब गोस्वामी को जमानत देने वाला एक कार्टून ट्वीट किया था। कुछ अन्य मामले भी थे जहाँ शीर्ष अदालत का उल्लेख किया गया था। क़ानून के एक छात्र की अपील के जवाब में अटॉर्नी जनरल ने अवमानना की कार्यवाही की इजाज़त दे दी। 
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क़मर वहीद नक़वी
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