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एक रिपोर्ट के अनुसार उपग्रह की नयी तसवीरों से संकेत मिलता है कि डोकलाम पठार से 9 किमी पूर्व में निर्मित एक चीनी गांव पूरी तरह बस गया है। यानी उन घरों में अब लोग रहने लगे हैं। अब उपग्रह की तसवीरों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग हर घर के दरवाजे पर कारें खड़ी हैं। जिस डोकलाम क्षेत्र में वह गांव है उसी क्षेत्र में 2017 में भारतीय और चीनी सेना का आमना-सामना हुआ था।
रिपोर्ट के अनुसार चीन उस गांव को पंगडा कहता है और वह भूटानी क्षेत्र में है। पंगडा तेजी से बहने वाली अमो चू नदी के किनारे है और यह भूटानी क्षेत्र में 10 किमी अंदर बताया जाता है। एनडीटीवी ने ख़बर दी है कि भारत के लिए अमो चू नदी के पास निर्माण का साफ़ मतलब है कि चीनी सेना को निकटवर्ती डोकलाम पठार में एक रणनीतिक रिज तक पहुंच मिल सकती है। यह उन्हें भारत के संवेदनशील सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर नज़र रखने में मदद भी कर सकता है।
अब एक चिंता यह है कि चीन इस वैकल्पिक माध्यम से उसी रिज के पास पहुंचकर पश्चिम में भारतीय रक्षा को भेदने की कोशिश कर सकता है। डोकलाम का यह वह इलाक़ा है जहाँ 2017 में भारतीय सैनिकों ने चीनी श्रमिकों को उस रिज पर जाने से रोक दिया था।
डोकलाम विवाद 2017 में 16 जून से 28 अगस्त तक क़रीब ढाई महीने तक रहा था। जानकारों के अनुसार भारत-चीन-भूटान ट्राई-जंक्शन क्षेत्र के पास सड़क बनाने के चीन के प्रयास के बाद उपजी भारत और चीन के बीच शत्रुता समाप्त हो गई थी, लेकिन डोकलाम पठार के पार चीनी सेना के निर्माण कार्य को नहीं रोका जा सका। जबकि दोनों देशों के बीच आपसी सहमति है कि दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास ऐसी कोई निर्माण की गतिविधि नहीं करेंगे।
रिपोर्टें आती रही हैं और विशेषज्ञ भी कहते रहे हैं कि डोकलाम में चीन ने पहले घुसपैठ की थी, फिर पीछे हटा था, लेकिन उसके बाद भी वह सीमा के पास सैनिक ढाँचा खड़ा करता रहा, सड़कें बनाता रहा और अपनी स्थिति मज़बूत करता रहा।
तो क्या डोकलाम जैसे क्षेत्रों में विवादित जगहों पर पीछे हटने के नाम पर चीन भारत को धोखा देता रहा है?
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार मैक्सर से प्राप्त सैटेलाइट तसवीरों से संकेत मिलता है कि अमो चू नदी घाटी में एक दूसरा गांव अब लगभग पूरा हो गया है, जबकि चीन ने दक्षिण में तीसरे गांव या आवास के निर्माण को आगे बढ़ाया है। इस तीसरे गाँव के स्थल पर अमो चू के पार एक पुल का निर्माण किया गया है जिसमें खुदाई की गतिविधि स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। यहां छह इमारतों की नींव दिखाई दे रही है।
रिपोर्ट के अनुसार इन तसवीरों का विश्लेषण करने वाले इंटेल लैब के भू-स्थानिक खुफिया शोधकर्ता डेमियन साइमन ने कहा, 'इस दूरस्थ क्षेत्र की गति और विकास उल्लेखनीय है, यह रेखांकित करता है कि चीन अपनी सीमाओं का निर्विरोध विस्तार कैसे कर रहा है।'
रिपोर्ट के अनुसार भारत के पूर्वी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीण बख्शी (सेवानिवृत्त) कहते हैं, 'पंगडा गांव और इसके उत्तर और दक्षिण के दूसरे गाँव झाम्पेरी रिज और डोकलाम पठार पर अपनी वैधता स्थापित करने की कोशिश कर रहे चीनियों के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। सीमा से सटे गांवों के निर्माण के लिए चीन द्वारा विवादित क्षेत्र में किए जा रहे व्यापक प्रयास क्षेत्रों पर दावों को वैधता पाने का एक तरीका है।'
सेना मुख्यालय के सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया, 'सेना अपनी सीमाओं के साथ सभी गतिविधियों पर निरंतर और निर्बाध निगरानी रखती है, खास तौर पर वे जो देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को प्रभावित करती हैं। इसके लिए किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए आवश्यक तंत्र और सुरक्षा उपाय हैं।'
रिपोर्ट के अनुसार नई दिल्ली में भूटान के राजदूत, मेजर जनरल वेत्सोप नामग्याल ने अमो चू घाटी में चीन के निर्माण की स्थिति पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। भारत के विदेश मंत्रालय ने भी नए घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी नहीं की। हालाँकि, चीन की गतिविधियों से कई सवाल खड़े होते हैं।
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