उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मतदान शुरू होने से पहले बीजेपी की मुश्किलों में इजाफा हो गया है। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर्स पर चले आंदोलन की अगुवाई करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों से अपील की है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में किसान विरोधी बीजेपी को सजा दी जाए।
संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को एक अपील जारी की है और कहा है कि बीजेपी की सरकार ने हमें आश्वासन देकर धरना खत्म करवा दिया और अब अपने लिखित वादे से मुकर गई है।
किसान आंदोलन का एक सिपाही के नाम से जारी की गई इस अपील में लखीमपुर खीरी कांड का भी जिक्र है और कहा गया है कि इस कांड का असली षड्यंत्रकारी मंत्री अभी भी छुट्टा घूम रहा है। अपील में आगे कहा गया है कि बीजेपी सरकार सच-झूठ की भाषा नहीं समझती, यह पार्टी एक ही भाषा समझती है, वह है, वोट, सीट और सत्ता।
अपील में लिखा है कि उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी 2017 के विधानसभा चुनाव में किसानों से किए गए अपने वादों से पलट गई और उसने कोई वादा नहीं निभाया।
अपील के अंत में कहा गया है कि इस किसान विरोधी बीजेपी सरकार के कान खोलने के लिए इसे चुनाव में सजा देने की जरूरत है। अपील की गई है कि बीजेपी का जो नेता आपसे वोट मांगने आए उससे इन मुद्दों पर सवाल जरूर पूछें और एक किसान का दर्द एक किसान ही समझ सकता है, इसलिए वोट डालते वक्त सभी किसान इस अपील को याद रखें।
इस अपील को उत्तर प्रदेश के हर किसान तक भेजने का निवेदन भी किया गया है।
अपील में किसान नेता डॉ. दर्शन पाल, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह दल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा उर्फ कक्का जी, राकेश टिकैत, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव सहित किसान आंदोलन में भाग लेने वाले तमाम किसान और मजदूर संगठनों के भी नाम हैं।
पश्चिमी यूपी में होगा नुकसान?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है और किसान आंदोलन के दौरान इस इलाके में बीजेपी के नेताओं का पुरजोर विरोध हुआ था। संयुक्त किसान मोर्चा की इस अपील से बीजेपी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बड़ा सियासी नुकसान हो सकता है। देखना होगा कि बीजेपी किसानों के इस विरोध से कैसे निपटती है।
अपनी राय बतायें