सबरीमला विवाद ने अब हिंसक रूप ले लिया है। केरल के इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का समर्थन करने वाले स्वामी संदीपनानंद गिरि के आश्रम पर शुक्रवार की रात हमला कर दिया गया। इससे यह साफ़ हो गया कि मंदिर में माहवारी की उम्र की महिलाओं के प्रवेश का विरोध कर रहे लोग किस पर निशाना साध रहे हैं। आश्रम को आधी रात आग लगा दी गई। दो गाड़ियाँ और एक स्कूटर जल कर राख हो गए। आगजनी की वारदात बताती है कि विरोध अब उग्र तत्वों के हाथों में जा चुका है और वे किसी को बख़्शना नहीं चाहते।संदीपानंद गिरि स्कूल ऑफ़ भगवदगीता के निदेशक हैं और हमला उनके आश्रम पर हुआ। उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का समर्थन किया था। उन्होंने हमले के पीछे भारतीय जनता पार्टी की केरल इकाई के अध्ययक्ष श्रीधरन पिल्लै, मंदिर का पूजा-पाठ देखने वाले तारणम तंत्री परिवार और मंदिर से जुड़े पंडालम राज परिवार का हाथ बताया है।
इसके एक ही दिन पहले तंत्री परिवार के राहुल ईश्वर को गिरफ़्तार किया गया था। वे महिलाओं के प्रवेश का ज़ोरशोर से विरोध करने वालों में से हैं। उन्होंने बीते दिनों यह ख़ुलासा किया था कि औरतें जबरन घुसने की कोशिश करतीं तो मंदिर में हिंसा कर उसे बंद करवा दिया जाता।राज्य सरकार ने तंत्री परिवार से बातचीत कर मामले को सुलझाने की कोशिश की थी। उन्हें बातचीत के लिए बुलाया था। वे पहले इसके लिए राज़ी हो गए। पर बाद में उन्होंने किसी तरह की बातचीत से साफ़ इनकार कर दिया।
महिलाओं को पीटा गया
समझा जाता है कि वे बाद में बीजेपी के दवाब में आ गए या उनकी बातों से प्रभावित हो गए। जब बीजेपी ने पंडालम से तिरुवनंतपुरम तक की रैली निकाली थी तो तोड़फोड़ की छिटपुट वारदात हुई थीं। महिलाओं ने अदालत के फ़ैसले के बाद पहली बार बीते हफ़्ते मंदिर प्रवेश की कोशिशें की तो उन्हें जबरन रोका गया। बीजेपी की महिला कार्यकर्ताओं ने बसों और गाड़ियों को रुकवा कर तलाशी ली और महिलाओं को खींच-खींच कर बाहर निकाला। महिला पत्रकारों से बदतमीज़ी की गई, उन्हें धमकाया गया। कुछ को पीटा भी गया। अयप्पा मंदिर के बाहर सैकड़ों की तादाद में बीजेपी कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए और कहा कि उनकी लाशों के ऊपर से गुजर कर ही कोई महिला अंदर जा सकेगी। छह महिलाओं को मंदिर के प्रवेश द्वार से कुछ मीटर की दूरी से लौट आना पड़ा। इनमें रेशमा फ़ातिमा शामिल हैं।आख़िर ये लोग कौन हैं जो हिंसा पर उतारू हैं? गिरि की बातों से संकेत मिलता है कि उग्र हिंदूवादी तत्वों ने आंदोलन अपने कंट्रोल में ले लिया है।
रेशमा फ़ातिमा को अब अगले महीने का इंतज़ार है। नवंबर से 41 दिनों का व्रतम शुरू होगा। वे व्रतम में भाग लेंगी और उसके बाद सबरीमाला के लिए कूच कर देंगी। व्रतम के दौरान दक्षिण भारत के चार राज्यों से लाखों लोग सबरीमला पहुँचते हैं। इस बार हज़ारों महिलाओं के व्रतम और इस यात्रा में शामिल होने के आसार हैं। राज्य सरकार ही नहीं, मंदिर का प्रबंध देखने वाले त्रावणकोर देवसम बोर्ड के लिए भी यह बड़ी चुनौती होगी। उस समय हिंसा की एक भी वरदात राज्य सरकार ही नहीं, मंदिर के लिए भी बेहद बुरी बात होगी।
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