रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण भारत में महंगाई और बढ़ सकती है। 10 दिनों के अंदर 9 बार पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हो चुकी है और इस वजह से रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ रहे हैं।
यह तय माना जा रहा था कि अगर रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध लंबा चला तो इसका असर दुनिया के तमाम मुल्कों के साथ ही भारत पर भी होगा। पेट्रोल-डीजल के साथ ही निर्माण से जुड़ी चीजों और रूस और यूक्रेन से आयात होने वाला माल भी महंगा हो सकता है।
रूस दुनिया के उन 3 शीर्ष देशों में शामिल है जो ईंधन और गैस के सबसे बड़े सप्लायर हैं। लेकिन अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप के कुछ देशों के द्वारा रूस से तेल खरीदने पर लगाए गए प्रतिबंध का बड़ा असर आने वाले दिनों में देखने को मिल सकता है।
रूस और यूक्रेन के युद्ध के कारण बीते दिनों कच्चे तेल की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत ज्यादा बढ़ गई थी और इस वजह से भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। साफ है कि इसका असर माल ढुलाई पर पड़ा है और इससे सब्जी, फल जैसी जरूरी चीजें महंगी हुई हैं।
फल-सब्जियों की कीमतें बढ़ीं
बीते दिनों में फल और सब्जियों की कीमतों में 10 से 20 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। इसी तरह खाने का तेल भी महंगा हुआ है। इंडिया टुडे के मुताबिक, सूरजमुखी के पैकेट बंद तेल की कीमत फरवरी में 4 फीसद बढ़ गई जबकि सरसों के तेल की कीमत 8.7 फीसद। मूंगफली का तेल 1 फीसद महंगा हुआ है तो वनस्पति तेल 2.7 फीसद।
यूक्रेन और रूस ने बीते साल भारत के खाद्य तेलों की कुल जरूरत का 13 फीसद हिस्सा आयात किया था। क्रिसिल ने कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अगले वित्तीय वर्ष में भारत में 4 से 6 लाख टन सूरजमुखी के तेल की कम आपूर्ति हो सकती है और इस वजह से घरेलू खाद्य तेलों को बनाने की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा।
भारत को हर साल 22-23 लाख टन सूरजमुखी के कच्चे तेल की जरूरत होती है और इसका 70 फ़ीसदी यूक्रेन से आता है और 20 फीसद रूस से। यहां यह बताना जरूरी है कि रूस और यूक्रेन सूरजमुखी के तेल की कुल जरूरत का 60 फीसद हिस्सा पैदा करते हैं।
यूक्रेन और रूस गेहूं के सबसे बड़े निर्यातक हैं और दुनिया भर की जरूरत का 25 फीसद हिस्सा निर्यात करते हैं। लेकिन युद्ध के कारण इसके निर्यात पर भी असर पड़ा है।
सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित
पंसारी ग्रुप के प्रबंध निदेशक शम्मी अग्रवाल ने इंडिया टुडे से कहा कि खाद्य तेलों के दाम पिछले 1 महीने में 125 रुपए से बढ़कर 170-180 रुपए तक पहुंच चुके हैं और ऐसा लग रहा है कि यह मई और जून के बीच में और बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि रूस और यूक्रेन के युद्ध के कारण सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हुई है।
और महंगे होंगे पेट्रोल-डीजल
पेट्रोल पंप डीलर एसोसिएशन के लोगों को डर है कि आने वाले दिनों में ईंधन की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है। ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय बंसल ने इंडिया टुडे से कहा कि ग्राहकों को और ज्यादा पैसा चुकाने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगले 15 दिनों में कीमत और ज्यादा बढ़ सकती है। उन्होंने इसके पीछे वजह रूस-यूक्रेन युद्ध और रूस पर लगे प्रतिबंधों को बताया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी तेल की जरूरतों का लगभग 90 फीसद दुनिया के बाजारों से खरीदता है।
भारत रूस और यूक्रेन को बड़ी संख्या में सामान निर्यात भी करता है और युद्ध के कारण निर्यात पर भी असर पड़ा है।
महंगी होंगी कारें
उधर, कार बनाने वाली कंपनियों ने भी एलान किया है कि वे कारों की कीमतों में इजाफा करेंगी। क्योंकि कच्चे माल के साथ ही स्टील और एल्युमीनियम की कीमत भी बढ़ गई है। बीएमडब्ल्यू, ऑडी, टोयोटा, टाटा मोटर्स सहित कुछ और बड़ी कंपनियों ने कार की कीमतों में बढ़ोतरी की बात कही है।
रूस-यूक्रेन युद्ध का असर सेमीकंडक्टर की सप्लाई चेन पर पड़ा है और इससे ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े लोग परेशान हैं। क्योंकि सेमीकंडक्टर में इस्तेमाल होने वाली कुछ धातुएं रूस के द्वारा भेजी जाती हैं जबकि यूक्रेन नियॉन और हीलियम जैसी गैसों की आपूर्ति भारत को करता है।
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