बिहार में रेलवे परीक्षा में धांधली के आरोपों पर छात्रों के बवाल के बाद रेल मंत्री ने मामले में बयान दिया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दो परीक्षाओं के लिए एक करोड़ से ज्यादा आवेदन आए थे और इन परीक्षाओं को कराने के लिए एजेंसी हायर करने में 6 महीने से ज्यादा का वक्त लग गया क्योंकि परीक्षा बड़े पैमाने पर होनी थी।
उन्होंने कहा कि एजेंसियों के चयन के बाद कोरोना का वक्त आ गया लेकिन इसके बाद भी दिसंबर 2020 में परीक्षाओं की प्रक्रिया को चालू किया गया और कोरोना की दूसरी लहर के बावजूद परीक्षाएं कराई गईं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवारों को पहले से दूसरे चरण में जाने का मौका मिले इसके लिए भी केंद्र सरकार ने कदम उठाए हैं। 2015 तक प्राथमिक परीक्षा से 10 गुना उम्मीदवार लिए जाते थे लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 15 से 20 गुना कर दिया गया जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मौका मिले।
उन्होंने कहा कि आज बड़ा मुद्दा यही है कि कितने उम्मीदवार शॉर्टलिस्ट किए जाएं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को हम बेहद संवेदनशीलता के साथ हल कर लेंगे। रेल मंत्री ने कहा कि छात्र हमारे भाई हैं, हमारे परिवार का हिस्सा हैं और इसीलिए यह मुद्दा हमारे लिए बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि सरकार पहले दिन से ही छात्रों की बात को सुन रही है।
उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे रेलवे की संपत्ति को नुकसान ना पहुंचाएं क्योंकि यह उनकी अपनी संपत्ति है।
बिहार में हुए बवाल की आंच उत्तर प्रदेश तक पहुंच गई है। प्रयागराज में इस मुद्दे पर छात्रों ने प्रदर्शन किया तो पुलिस ने उन्हें हॉस्टल में घुसकर पीटा। उधर, बिहार में छात्रों का प्रदर्शन उग्र हो गया है। छात्रों ने बिहार के गया और आरा में एक ट्रेन में आग लगा दी और कुछ ट्रेनों में पथराव किया है।
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