देश में आरक्षण लागू होने की स्थिति कितनी ख़राब है, इसकी रिपोर्टें सरकारी आँकड़े ही साफ़-साफ़ बयान करते हैं। इस मामले में केंद्र सरकार के ऊँचे पदों पर तो स्थिति और भी ख़राब है। हाल ही एक रिपोर्ट आयी थी कि केंद्र सरकार में 89 सचिवों में से अनुसूचित जाति यानी एससी के सिर्फ़ एक और अनुसूचित जनजाति यानी एसटी से तीन सचिव हैं। अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी से कोई भी सचिव नहीं है। ये आँकड़े हाल ही में संसद में रखे गए थे। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट के अनुसार इसमें से अधिकतर सचिव भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस हैं।
आरक्षण ख़त्म नहीं, निष्क्रिय? 89 सचिवों में सिर्फ़ एक एससी, तीन एसटी
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- 13 Aug, 2019
हाल ही एक रिपोर्ट आयी थी कि केंद्र सरकार में 89 सचिवों में से अनुसूचित जाति यानी एससी के सिर्फ़ एक और अनुसूचित जनजाति यानी एसटी से तीन सचिव हैं।

मंडल आयोग की सिफ़ारिश पर सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए 27.5 फ़ीसदी, एससी के लिए 15 फ़ीसदी और एसटी के लिए 7.5 फ़ीसदी आरक्षण लागू करना ज़रूरी है। लेकिन जब सचिव स्तर के इन पदों पर नियुक्ति के मामले में आरक्षण सही से लागू हुआ नहीं जान पड़ता है।
केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में एससी, एसटी और ओबीसी का प्रतिनिधित्व अतिरिक्त सचिव के स्तर पर भी ऐसा ही है। 93 अतिरिक्त सचिवों में से एससी के 6 और एसटी के 5 हैं। अतिरिक्त सचिवों में भी कोई ओबीसी श्रेणी से नहीं है। 275 संयुक्त सचिवों में से 13 यानी 4.73 फ़ीसदी एससी हैं, 9 यानी 3.27 फ़ीसदी एसटी और 19 ओबीसी श्रेणी से हैं।