President Kovind unveils the portrait of Netaji Subhas Chandra Bose at Rashtrapati Bhavan to commemorate his 125th birth anniversary celebrations. pic.twitter.com/Y3BnylwA8X
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 23, 2021
This is the original photograph of #NetajiSubhasChandraBose, based on which renowned artist Shri #PareshMaity has drawn the portrait which was unveiled at Rashtrapati Bhavan on 23 Jan 2021, by Hon’ble President of India-Shri Ram Nath Kovind ji. @rashtrapatibhvn @narendramodi pic.twitter.com/WTOHqtgs3p
— Chandra Kumar Bose (@Chandrakbose) January 25, 2021
ममता का हमला
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर बीजेपी पर ज़ोरदार हमला किया है। उन्होंने कहा,“
"आपने (बीजेपी ने) नेताजी का अपमान किया है। आपने टैगोर का जन्म स्थान ग़लत बताया। आपने विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ी। आपने बिरसा मुंडा की ग़लत प्रतिमा को माला पहनाई।"
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
क्या कहा टीएमसी ने?
तृणमूल कांग्रेस की तेज़तर्रार सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर राष्ट्रपति पर तंज किया है। उन्होंने ट्वीट किया, "राम मंदिर के लिए पाँच लाख रुपए का दान देने के बाद राष्ट्रपति ने नेताजी का सम्मान करने के लिए उनकी भूमिका निभाने वाले प्रसेनजित की प्रतिमा का अनावरण कर दिया। ईश्वर इस देश को बचाए क्योंकि सरकार तो बचा नहीं सकती।"
बाद में महुआ मोइत्रा ने वह ट्वीट डिलीट कर दिया।
बीजेपी की सफाई
बीजेपी ने इसे बेवजह का विवाद बताते हुए कहा है कि यह तसवीर नेताजी की तसवीर से बिल्कुल ही मेल नहीं खाती है। पार्टी ने यह भी कहा है कि यह तसवीर सुभाष बाबू के परिवार के लोगों ने चित्रकार परेश माइती को दी थी।
परेश माइती पश्चिम बंगाल के मशहूर और प्रतिष्ठित चित्रकार हैं, उन्हें पदम् विभूषण पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। वे फिलहाल दिल्ली में ही रहते हैं।
Would like to congratulate Paresh Maity for the wonderful piece of art in remembrance of our National hero Netaji Subhas Chandra Bose. As an Actor,I’m elated that people thought,that the painting resembles my character in Gumnami,dir. by @srijitspeaketh and prosthetics by Somnath pic.twitter.com/HBkXvwFFSw
— Prosenjit Chatterjee (@prosenjitbumba) January 25, 2021
बंगाली आइकॉन पर बीजेपी की नज़र
बंगाल में महापुरुषों के संबंध में इस तरह का ये पहला विवाद नहीं है। इसके पहले गृह मंत्री अमित शाह ने रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म स्थान बोलपुर बताया था, जबकि रवि बाबू का जन्म कोलकाता में हुआ था। अमित शाह ने इसके पहले अंग्रेजों के ख़िलाफ़ बग़ावत का बिगुल फूंकने वाले बिरसा मुंडा की जगह किसी और की प्रतिमा पर माला चढ़ा दी थी।
इसी तरह पश्चिम बंगाल के आइकॉन समझे जाने वाले रवींद्रनाथ ठाकुर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रवादी क़रार दिया था और उन्हें अपने 'आत्मनिर्भर भारत' कार्यक्रम से जोड़ दिया था। इस पर पश्चिम बंगाल में न सिर्फ उनका मजाक उड़ाया गया, बल्कि लोगो ने गुस्से का इजहार भी किया।
लोगों ने यह कहा था कि रवि बाबू राष्ट्रवाद के ख़िलाफ़ थे और उन्होंने अपने एक लेख में इसकी काफी आलोचना भी की थी। लेकिन प्रधानमंत्री अपनी पार्टी के उग्र राष्ट्रवाद को उचित ठहराने के लिए कविगुरु को राष्ट्रवादी बता रहे हैं।
साल 2018 में कोलकाता में अमित शाह के एक रोड शो में भाग ले रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं ने विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ दी थी। इसकी भी बहुत आलोचना हुई थी।
बीजेपी भले ही सफाई दे, यह सच है कि वह बंगाली अस्मिता को भुनाने की कोशिश में उनके आइकॉन को चाहे-अनचाहे बार-बार अपमानित कर रही है। इसलिए उसका दाँव उल्टा भी पड़ सकता है।
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