पिछले कुछ महीनों से आरएसएस और भाजपा ने राम मंदिर निर्माण के लिए तूफ़ान खड़ा कर रखा है और बार-बार कह रहे हैं कि हिंदुओं के सब्र का बाँध अब टूट रहा है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज से 31 साल पहले आरएसएस ने साफ़ कहा था कि राम मंदिर का निर्माण उसका मक़सद नहीं है। वह इस मुद्दे का इस्तेमाल दिल्ली की गद्दी पाने और भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने में करना चाहता है। 1987 में आरएसएस के सरसंघचालक बालासाहब देवरस ने विहिप के महामंत्री अशोक सिंघल को इस बात पर डाँट लगाई थी कि वे राम मंदिर निर्माण पर कैसे तैयार हो गए। उस वक़्त एक फ़ॉर्मूला बना था जिसके तहत विदेशी तकनीक का इस्तेमाल करके बाबरी मसजिद को बिना कोई नुक़सान पहुँचाए अपने स्थल से हटाया जाना था और राम चबूतरे से राम मंदिर का निर्माण शुरू हो जाना था। जब यह बात देवरस को पता चली तो उन्होंने सिंघल से कहा,
राम मंदिर निर्माण : पाँचवीं कड़ी : बड़ा ख़ुलासा- आरएसएस ने राम मंदिर बनने से रोका था!
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- 24 Dec, 2018

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 5 अगस्त से शुरू होगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी आधारशिला रखेंगे। क्यों यह मामला लंबे समय तक विवादित रहा? इसमें हिन्दू और मुसलिम पक्षों की क्या राय थी? इन तमाम मुद्दों पर सत्य हिन्दी पेश कर रहा है विशेष श्रृंखला। इस कड़ी में जानिए, किस तरह स्वयं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राम मंदिर निर्माण में अड़ंगा डाला था।