गैरक़ानूनी गतिविधि रोकथाम (संशोधन) विधेयक शुक्रवार को राज्यसभा से भी पास हो गया है। विधेयक के पक्ष में 147 और विरोध में 42 वोट पड़े। इससे पहले बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव गिर गया था और अब बिल को पारित करने के लिए फ़ाइनल वोटिंग का सहारा लिया गया। विधेयक के क़ानून बन जाने पर सरकार किसी को भी आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के शक के आधार पर आतंकवादी घोषित कर सकती है। लोकसभा में इस विधेयक के पक्ष में 287 वोट पड़े और इसके विरोध में 8 वोट पड़े थे।
गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बिल पर चर्चा के दौरान कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, वह किसी व्यक्ति या सरकार के ख़िलाफ़ नहीं बल्कि इंसानियत के ख़िलाफ़ होता है। उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने के कुछ बिन्दु तय किए गए हैं और उन्हीं के मुताबिक़ काम किया जाएगा। शाह ने जोर देकर कहा कि आतंकवादी अगर 2 कदम बढ़ते हैं तो हमारी एजेंसियों को 4 कदम आगे बढ़ना होगा।
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शाह ने कहा कि अगर यासीन भटकल को पहले ही आतंकवादी घोषित कर दिया गया होता तो कई लोगों की जान बच जाती लेकिन हमने सिर्फ़ उसके संगठन को बैन किया था। गृह मंत्री ने कहा कि आतंकी ठहराए गए व्यक्ति के पास अपील का पूरा अधिकार होगा। इससे पहले लोकसभा में भी विधेयक में हुए संशोधनों की हिमायत करते हुए अमित शाह ने विपक्ष पर जोरदार हमला किया था। शाह ने कहा था कि आतंकवाद लोगों की प्रवृत्ति में है, संगठनों में नहीं।
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शाह ने कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान, चीन, इजरायल में व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने का क़ानून पहले से ही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लोग क़ानून के दुरुपयोग की बात न करें क्योंकि उनका इतिहास तो काफी लंबा है।
विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम ने कहा कि हाफ़िज़ सईद की तुलना गौतम नवलखा से न करें। चिदंबरम ने कहा कि कई एक्टिविस्ट को गिरफ़्तार किया गया है क्योंकि वे लोग गरीब और दलितों के लिए लड़ रहे थे। उन्होंने कहा कि आतंकवाद से लड़ाई और यूएपीए क़ानून पर कांग्रेस की कोई आपत्ति नहीं है लेकिन हम इस बात के ख़िलाफ़ हैं कि सरकार को किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का आधिकार मिल जाएगा।
लोकसभा में चर्चा के दौरान शाह ने कहा था कि देश में कई लोग हैं जो सामाजिक कार्यों से जुड़े हुए हैं और अच्छा काम कर रहे हैं। पुलिस ऐसे लोगों को नहीं पकड़ती है लेकिन जो लोग अर्बन माओवादी हैं उनके लिए हमारे दिल में कोई दया नहीं है।
शाह ने कहा था कि आज समय की माँग है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ सख़्त क़ानून बनाया जाए। यदि किसी आतंकवादी संगठन को प्रतिबंधित किया जाता है तो उससे जुड़ा आतंकवादी आसानी से दूसरा संगठन बना लेता है। विपक्ष के कई नेताओं ने इस विधेयक का जोरदार विरोध किया। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने इस विधेयक में किए गए बदलावों का विरोध किया था और कहा था कि इस क़ानून का इस्तेमाल व्यक्तिगत रूप से लोगों को फंसाने के लिए किया जा सकता है। मोइत्रा ने कहा कि अगर यह बिल देश की संसद में पास हो जाता है तो इसका देश के संघीय ढाँचे पर प्रभाव पड़ेगा।
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