चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर भारत सरकार ने मंगलवार को संसद में बयान दिया है। सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दोनों देशों की सीमाओं के बीच सीमा का निर्धारण नहीं हुआ है।
रक्षा मंत्री ने कहा, 'भारत और चीन दोनों ने औपचारिक रूप से माना है कि यह एक कठिन मुद्दा है। दोनों देशों ने यह मान लिया है कि द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए सीमा पर शांति ज़रूरी है और एलएसी को लेकर दोनों देशों की अलग-अलग धारणाएं हैं।'
रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि एलएसी को माना जाएगा लेकिन चीन ने जून में इसका उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एलएसी का सम्मान करना चाहिए।
चीनी सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘अप्रैल माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा में चीनी सेनाओं की संख्या में वृद्धि देखी गई है। मई महीने की शुरुआत में चीनी सेना ने गलवान घाटी क्षेत्र में हमारे जवानों की पेट्रोलिंग में व्यवधान पैदा किया, इसके कारण झड़प की स्थिति पैदा हुई। मई महीने के मध्य में चीनी सेना ने लद्दाख के पश्चिमी क्षेत्र में गोगरा, पैंगोंग लेक का उत्तरी क्षेत्र शामिल है, इनमें घुसपैठ की कोशिश की और हमारी सेना ने इसके ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई की।’
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने चीन को बता दिया है कि इस तरह की गतिविधियां एलएसी पर यथास्थिति को बदलने का प्रयास है और यह भारत को किसी भी स्थिति पर मंजूर नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘चीन की ओर से 29-30 अगस्त की रात को उकसाने वाली सैनिक कार्रवाई की गई, जिसे हमारे सैनिकों ने विफल कर दिया। चीन द्वारा जवानों की भारी मात्रा में सैनिकों को तैनात किया जाना 1993, 1996 के समझौतों का उल्लंघन है।’
राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन की वजह से कई बार एलएसी के आसपास झड़प की स्थिति पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि हालांकि इस बार की स्थिति पहले से बहुत अलग है लेकिन हम फिर भी मौजूदा हालात का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं।
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