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मोदी जी की दुनिया में सच्चाई एक्सपंज हो सकती है, पर असलियत में नहीं: राहुल

अपने भाषण के कुछ अंश संसद की कार्यवाही से निकाले जाने पर राहुल गांधी ने कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधा और कहा कि 'मोदी जी की दुनिया में सच्चाई एक्सपंज हो सकती है, लेकिन असलियत में सच्चाई एक्सपंज नहीं हो सकती है।'

लोकसभा में अपना पहला भाषण देने के एक दिन बाद विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल मंगलवार को अपने भाषण के अंश को एक्सपंज किए जाने यानी संसद की कार्यवाही से हटाए जाने पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। इसके साथ ही उन्होंने लोकसभा स्पीकर को भी ख़त लिखा है और कहा है कि एक्सपंज किए गए हिस्से को फिर से शामिल किया जाए। 

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राहुल गांधी सोमवार को लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का जवाब देते हुए बेहद आक्रामक नज़र आए थे। उन्होंने अपने भाषण में ऐसा तीखा हमला किया कि प्रधानमंत्री मोदी से लेकर शिवराज सिंह चौहान तक को बीच में टोकना पड़ा। प्रधानमंत्री ने दो बार, अमित शाह और राजनाथ सिंह ने तीन-तीन बार और शिवराज चौहान, किरण रिजिजु और भूपेन्द्र यादव ने खड़े होकर दखल दी।

राहुल गांधी ने बीजेपी पर हमला किया और कहा कि वह नफरत और हिंसा को बढ़ावा देती है। उन्होंने कहा, 'जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं वे केवल हिंसा, नफरत और झूठ के बारे में बात करते हैं'। इस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल के भाषण को बीच में रोकते हुए कहा कि पूरे हिंदू समुदाय को हिंसक बताना एक गंभीर मामला है। हालाँकि इसके बाद राहुल और आक्रामक हो गए और कहा कि 'मोदी जी पूरा हिंदू समाज नहीं हैं, बीजेपी पूरा हिंदू समाज नहीं, आरएसएस पूरा हिंदू समाज नहीं है...।'

बहरहाल, अपने भाषण के कुछ हिस्से को संसद की कार्यवाही से एक्सपंज किए जाने पर राहुल गांधी ने मंगलवार को संसद परिसर के बाहर पत्रकारों से कहा कि मोदी जी की दुनिया में सच्चाई को मिटाया जा सकता है, लेकिन हकीकत में सच्चाई को नहीं मिटाया जा सकता है। उन्होंने कहा,

मुझे जो भी कहना था, मैंने कह दिया है और यही सच है। वे जितना चाहें उतना मिटा सकते हैं, लेकिन सच्चाई सामने आएगी।


राहुल गांधी, लोकसभा में विपक्ष के नेता

लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपने पहले भाषण में राहुल ने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर जोरदार हमला बोला और उस पर सांप्रदायिक आधार पर लोगों को बाँटने का आरोप लगाया।
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इसके अलावा राहुल ने मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र भी लिखा है। पत्र में कांग्रेस नेता ने कहा कि उनके भाषण के कुछ हिस्सों को कार्यवाही से एक्सपंज किए जाने की आड़ में हटाया जाना संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है। पत्र में कहा गया है, 'हालांकि सभापति को सदन की कार्यवाही से कुछ टिप्पणियों को हटाने का अधिकार है, लेकिन शर्त केवल उन शब्दों की है, जिनकी प्रकृति लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम के रूल 380 में निर्दिष्ट की गई है।'

इसमें आगे लिखा गया है: 'हालाँकि, मैं यह देखकर हैरान हूं कि मेरे भाषण के काफी हिस्से को कार्यवाही से हटा दिया गया है। ...मैंने सदन में जो बताने की कोशिश की, वह जमीनी हकीकत है, तथ्यात्मक स्थिति है...।' 

बता दें कि सोमवार को राहुल की टिप्पणी ने निचले सदन में भारी हंगामा मचा दिया और प्रधानमंत्री ने भी हस्तक्षेप किया। अपने लगभग 100 मिनट के भाषण में उन्होंने हिंदू धर्म के नाम पर नफरत, अग्निवीर योजना, मणिपुर में संकट और नोटबंदी से रोजगार पर पड़ने वाले प्रभाव जैसे मुद्दों को उठाया। सांसद ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि विपक्ष राष्ट्रीय हित में नरेंद्र मोदी सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।

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क़मर वहीद नक़वी
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