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'मित्र काल' बजट में भविष्य निर्माण का कोई रोडमैप नहीं: राहुल

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज आरोप लगाया कि केंद्र के बजट में न तो नौकरी पैदा करने की बात कही गई है और न ही महंगाई से लड़ने और विषमता को दूर करने का प्रयास है। उन्होंने कहा है कि केंद्रीय बजट साबित करता है कि सरकार के पास भारत के भविष्य के निर्माण के लिए कोई रोडमैप नहीं है। 

निर्मला सीतारमण ने आज बजट को पेश करने के दौरान 'अमृत काल बजट' कहकर संबोधित किया गया। इस पर तंज कसते हुए राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया में कहा है, "'मित्र काल' बजट में- नौकरी पैदा करने की कोई दृष्टि नहीं, महंगाई से निपटने की कोई योजना नहीं, विषमता दूर करने की कोई इच्छा नहीं। 1% सबसे अमीर 40% संपत्ति के मालिक हैं, 50% सबसे ग़रीब 64% जीएसटी का भुगतान करते हैं, 42% युवा बेरोजगार हैं- फिर भी, पीएम को परवाह नहीं है! यह बजट साबित करता है कि भारत के भविष्य के निर्माण के लिए सरकार के पास कोई रोडमैप नहीं है।'

निर्मला सीतारमण द्वारा पेश यह बजट 2024 के आम चुनाव से पहले अंतिम पूर्ण बजट है। वित्तमंत्री ने करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत और पूंजीगत व्यय और बुनियादी ढांचे के लिए बड़े पैमाने पर ख़र्च का प्रावधान किया है।

मोदी सरकार के इस बजट में नौकरी-पेशा वर्ग को इनकम टैक्स के मोर्चे पर लंबे समय बाद राहत मिली। टैक्स छूट की 5 लाख की सालाना आय की सीमा बढ़ाकर 7 लाख कर दी गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना का बजट 66% बढ़ाकर 79 हजार करोड़ किया गया है। 50 अतिरिक्त हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट बनेंगे। दो साल के लिए महिला सम्मान बचत प्रमाण पत्र मिलेगा, 2 लाख तक जमा पर 7.5% ब्याज। वरिष्ठ नागरिक बचत योजना में जमा सीमा को 15 लाख से बढ़ाकर 30 लाख किया गया। प्रमुख स्थानों पर 157 नए नर्सिंग कॉलेज बनाए जाएँगे।

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बजट पर विपक्षी दलों के अन्य नेताओं ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "इस बजट को 'नाम बड़े और दर्शन छोटे बजट' कहा जाएगा। इस बजट में भारी बेरोजगारी का समाधान खोजने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। महंगाई हर घर को नुकसान पहुंचा रही है और आम आदमी परेशानी में है। बजट में ऐसा कुछ भी नहीं है जो दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों को कम करे।"

उन्होंने आगे कहा, "कुल मिलाकर मोदी सरकार ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। देश की अर्थव्यवस्था को गहरा आघात पहुंचा है।"

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा,

निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहीं भी बेरोजगारी, गरीबी, असमानता या इक्विटी शब्दों का उल्लेख नहीं किया है। इतनी दया ज़रूर दिखाई कि उन्होंने दो बार गरीब शब्द का उल्लेख किया है।


पी चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री व कांग्रेस नेता

शशि थरूर ने कहा है, 'बजट में कुछ अच्छी चीजें हैं लेकिन मनरेगा, गरीब, ग्रामीण श्रम, रोजगार और महंगाई का कोई ज़िक्र नहीं था। कुछ बुनियादी सवालों के जवाब बाकी रह गए।'

कांग्रेस नेता के सुरेश ने भी कहा है, 'एक कॉर्पोरेट समर्थक बजट है। इस बजट में अडानी के सारे हित पूरे हैं, लेकिन आम आदमी की उपेक्षा की गई है। यह बजट अडानी, अंबानी, गुजरात के लिए है।'

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'बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर'

बसपा प्रमुख मायावती ने भी कहा है कि इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं। उन्होंने कहा, 'केन्द्र जब भी योजना, लाभार्थियों के आँकड़ों की बात करे तो उसे ज़रूर याद रखना चाहिए कि भारत लगभग 130 करोड़ ग़रीबों, मज़दूरों, वंचितों, किसानों आदि का विशाल देश है जो अपने अमृतकाल को तरस रहे हैं। उनके लिए बातें ज्यादा हैं। बजट पार्टी से ज्यादा देश के लिए हो तो बेहतर।'

मायावती ने कहा है कि इस वर्ष का बजट भी कोई ज्यादा अलग नहीं। उन्होंने कहा, 'पिछले साल की कमियाँ कोई सरकार नहीं बताती और नए वादों की फिर से झड़ी लगा देती है जबकि जमीनी हकीकत में 100 करोड़ से अधिक जनता का जीवन वैसे ही दाँव पर लगा रहता है जैसे पहले था। लोग उम्मीदों के सहारे जीते हैं, लेकिन झूठी उम्मीदें क्यों?'

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क़मर वहीद नक़वी
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