ओमिक्रॉन वैरिएंट के बढ़ते ख़तरे के बीच कोरोना की बूस्टर डोज़ की मांग उठ रही है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को केंद्र सरकार से पूछा है कि वह लोगों को बूस्टर डोज़ देना कब से शुरू करेगी।
राहुल ने कहा है कि हमारी बड़ी आबादी को अभी भी टीका नहीं लगा है। बता दें कि बीते कुछ ही दिनों में ओमिक्रॉन वैरिएंट देश के 15 राज्यों में पहुंच चुका है और आशंका जताई जा रही है कि इसकी वजह से फरवरी में कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है।
ओमिक्रॉन को लेकर आई रिपोर्ट्स यह बता चुकी हैं कि यह वैरिएंट बहुत तेज़ी से फैलता है और वैक्सीन के असर को कम कर सकता है। हालांकि यह भी कहा गया है कि यह डेल्टा वैरिएंट से ज़्यादा ख़तरनाक नहीं है।
इसीलिए दुनिया भर के साथ ही भारत में भी लोगों के मन में सवाल है कि आख़िर बूस्टर डोज़ कब लगनी शुरू होगी।
ओमिक्रॉन की तेज़ रफ़्तार
ओमिक्रॉन किस रफ़्तार से फैल रहा है, इसका पता अमेरिका से आ रहे आंकड़ों से चलता है। अमेरिका में कोरोना के कुल नए मामलों में से 73.2% मामले ओमिक्रॉन के हैं। उधर, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस महामारी को रोकने के लिए बड़े क़दम उठाने पर जोर दिया है।
बूस्टर डोज़ जरूरी
उधर, रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल (एमजीएच), हार्वर्ड और एमआईटी के शोधकर्ताओं के अध्ययन में पता चला है कि भले ही वैक्सीन की रूटीन डोज़ ओमिक्रॉन के ख़िलाफ़ पर्याप्त सुरक्षा नहीं देती हैं, लेकिन इसकी बूस्टर डोज़ से सुरक्षा बढ़ जाती है।
केंद्र ने राज्यों को चेताया
ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर राज्यों से कहा है कि ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट से तीन गुना ज़्यादा संक्रामक है और इसे नियंत्रित करने के लिए वार रूम को सक्रिय किया जाना चाहिए। केंद्र ने यह भी कहा है कि ओमिक्रॉन के अलावा देश के कई हिस्सों में डेल्टा वैरिएंट अभी भी मौजूद है।
केंद्र ने पत्र में रोकथाम के उपाय भी बताए हैं। इन उपायों में रात का कर्फ्यू, कार्यालयों व सार्वजनिक परिवहन में लोगों की संख्या पर प्रतिबंध लगाना शामिल हैं। यह भी सुझाव दिया गया है कि आपातकालीन धन का उपयोग अस्पताल के बिस्तर, एम्बुलेंस, ऑक्सीजन उपकरण और दवाओं सहित चिकित्सा के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए किया जाए।
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