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कतर में 8 पूर्व नेवी अफसर बंधक, वजह पता नहीं

भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अधिकारियों को दोहा में एक बंधक बना लिया गया है। ये लोग करीब 57 दिनों से बंधक हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने यह खबर देते हुए बताया कि नौसेना के ये पूर्व अफसर कतर की एक कंपनी में कार्यरत हैं। इस संबंध में कंपनी न तो फोन उठा रही है और न ही भारतीय विदेश मंत्रालय कुछ कर रहा है। कतर की यह कंपनी वहां की सेना को सेवाएं देती हैं। समझा जाता है कि कतर स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने उन 8 लोगों को बंधक बनाया है।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक यह घटना मंगलवार को @DrMeetuBhargava के ट्वीट से सामने आई। ट्विटर बायो में उन्हें एक 'शिक्षक और आध्यात्मिक व्यक्ति' के रूप में बताया गया है। उन्होंने लिखा कि दोहा में 57 दिनों से भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी अवैध हिरासत में हैं। डॉ मीतू भार्गव ने इस पोस्ट को प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी सहित कई मंत्रियों को टैग किया था। 
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सभी बंधक पूर्व नौसेना अधिकारी दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज कंपनी के लिए काम कर रहे थे। कंपनी कतर रक्षा, सुरक्षा और अन्य सरकारी एजेंसियों को अपनी सेवाएं देती है। इस कंपनी के सीईओ, खामिस अल अजमी, रॉयल ओमान वायु सेना के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर हैं।

हिरासत में लिए गए आठ भारतीयों में फर्म के प्रबंध निदेशक कमांडर पूर्णेंदु तिवारी (रिटायर्ड) हैं। उन्हें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से 2019 में प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला था।

कंपनी की वेबसाइट पर उनकी प्रोफ़ाइल कहती है कि जब कमांडर तिवारी ने भारतीय नौसेना में सेवा की, तो उन्होंने एक माइनस्वीपर और एक बड़े युद्धपोत की कमान संभाली थी।
इन लोगों को क्यों उठाया गया और उनके खिलाफ क्या आरोप हैं, इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में दोहा में भारतीय मिशन के अधिकारियों को कांसुलर विजिट की अनुमति दी गई थी। इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं थे।
दोहा में भारतीय मिशन इस कंपनी की प्रशंसक है। राजदूत दीपक मित्तल ने कहा है कि कंपनी "कतर रक्षा बलों की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए "महान काम" कर रही है। उन्होंने कहा, आप (कंपनी) मित्र देशों के साथ साझेदारी करने और हमारे अनुभवों को साझा करने के भारतीय नेतृत्व के दृष्टिकोण का प्रमाण हैं।

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पिछले राजदूत पेरियासामी कुमारन ने भारत की रक्षा क्षमताओं के प्रभावी प्रदर्शन के लिए कंपनी के काम की प्रशंसा की थी।  

इंडियन एक्सप्रेस ने कंपनी की वेबसाइट पर दिए गए फोन नंबरों पर कॉल किया लेकिन जवाब नहीं आया।

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