जम्मू-कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने पुलवामा में एक सफेद रंग की सेंट्रो कार में विस्फोटक मिलने के बारे में कहा है कि खु़फ़िया एजेंसियों को एक हफ़्ते से आत्मघाती हमला होने की सूचना मिल रही थी। उन्होंने कहा कि बुधवार को इस बात की पक्की सूचना मिली थी कि आतंकवादी संगठन हिज़बुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी आत्मघाती हमला कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह हमला पुलवामा हमले की तरह ही किया जाना था।
आईजी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘हमें सूचना मिली थी कि आतंकवादियों ने सेंट्रो कार का इंतजाम किया है और इसमें बम भरकर हमला किया जा सकता है। सेना, पुलिस, सीआरपीएफ़ ने मिलकर बुधवार शाम को नाका लगाया और कार दिखने पर वॉर्निंग फ़ायर की। इस पर आतंकवादी सेंट्रो कार को छोड़कर भाग गया। गुरुवार सुबह बम को डिफ्यूज कर दिया गया।’ उन्होंने कहा कि आतंकवादियों का लक्ष्य किसी सुरक्षा बल की गाड़ी को निशाना बनाना था।
आईजी ने कहा, ‘जैश और हिज़बुल के आतंकवादी मिलकर कश्मीर में आतंकवाद फैलाने की साज़िश रच रहे हैं। बीते कई महीनों में कई आतंकवादियों के लगातार मारे जाने के कारण इनके संगठन बौखलाए हुए हैं।’
40 से ज़्यादा जवान हुए थे शहीद
14 फ़रवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में 40 से ज़्यादा भारतीय जवान शहीद हो गये थे। आतंकवादियों ने योजना बनाकर इस हमले को अंजाम दिया था। हैरान करने वाली बात यह है कि हमले के एक साल बाद भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अब तक यह पता नहीं कर पाई है कि इस हमले के लिए विस्फ़ोटकों का इंतजाम कहां से किया गया। जवानों की सुरक्षा को लेकर ढेरों सवाल उठने के बाद केंद्र सरकार की ओर से कहा गया था कि पुलवामा का हमला ख़ुफ़िया एजेंसियों की नाकामी नहीं था।
पुलवामा हमले में जवानों की सुरक्षा में हुई जबरदस्त चूक को लेकर सैकड़ों सवाल उठे थे। सवाल उठे थे कि केंद्रीय पुलिस बल को बख़्तरबंद गाड़ियाँ क्यों नहीं मुहैया कराई गईं थीं। इतने बड़े काफ़िले के बीच जैश के आतंकवादी ने कैसे अपनी कार सीआरपीएफ़ की बस से टकरा दी?
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