राष्ट्रपति चुनाव को लेकर दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में विपक्षी दलों की बैठक हुई। इस बैठक में विपक्षी दलों के तमाम बड़े नेता पहुंचे।
बैठक में मौजूद सभी विपक्षी दलों ने एक प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि उन्होंने फैसला लिया है कि वे राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार उतारेंगे। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि इस बैठक में नहीं आने वाले विपक्षी दलों से बात की जाएगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि बैठक में शरद पवार को उतारने पर भी चर्चा हुई लेकिन वह तैयार नहीं हुए। उन्होंने कहा कि जो भी नाम आएगा उस पर विपक्षी दलों के बीच चर्चा होगी।
ममता बनर्जी की अपील पर यह बैठक बुलाई गई थी। बैठक में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी, शिवसेना के नेता सुभाष देसाई, डीएमके के नेता टीआर बालू, आरजेडी के सांसद मनोज झा आदि शामिल रहे।
कौन होगा उम्मीदवार?
विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती साझा उम्मीदवार उतारने की है। शरद पवार के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बनने से इनकार करने के बाद विपक्ष की मुश्किलें बढ़ गई हैं। अब विपक्ष को किसी बड़े चेहरे को सामने करना होगा और मजबूती के साथ चुनाव लड़ना होगा। लेकिन उसमें पहले ही फूट पड़ गई है।
गोपाल कृष्ण गांधी का नाम
वाम दलों की ओर से महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी का नाम राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर सुझाया गया है। गोपाल कृष्ण गांधी ने इंडिया टुडे से इस बात की पुष्टि की है कि उनसे इस संबंध में बात की गई है। उन्होंने कहा कि यह अहम सुझाव है और उन्हें इस पर विचार करने के लिए कुछ वक्त चाहिए। गोपाल कृष्ण गांधी साल 2017 के उप राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार थे लेकिन उन्हें एम. वेंकैया नायडू के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। गोपाल कृष्ण गांधी दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में भारत के राजदूत रह चुके हैं।
यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद को विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है। एक चर्चा राज्यसभा के सांसद और कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल को भी उम्मीदवार बनाए जाने की है।
विपक्षी एकजुटता की कोशिशों को झटका
राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्षी एकजुटता की कोशिशों को उस वक़्त जोरदार झटका लगा जब 5 राजनीतिक दलों ने इस बैठक से किनारा कर लिया। इन दलों में टीआरएस के अलावा, आम आदमी पार्टी, बीजू जनता दल, शिरोमणि अकाली दल और वाईएसआर कांग्रेस शामिल हैं।
बता दें कि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा जबकि नतीजे 21 जुलाई को आएंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है।
सवाल यह है कि विपक्ष किसे अपना उम्मीदवार बनाएगा। इससे बड़ी बात यह है कि क्या विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव में संयुक्त उम्मीदवार उतार पाएगा। अगर विपक्षी दलों के बीच संयुक्त उम्मीदवार उतारने को लेकर सहमति नहीं बनी तो बीजेपी और एनडीए के उम्मीदवार की राह इस चुनाव में आसान हो जाएगी।
हालांकि शरद पवार इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के बीच एक राय कायम करने में अपनी भूमिका निभाएंगे।
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