कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि राष्ट्रपति को नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए, न कि प्रधानमंत्री को। नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है और पीएम मोदी इसका उद्घाटन करने वाले हैं। लेकिन उससे पहले तारीख को लेकर और पीएम मोदी से उद्घाटन कराने को लेकर विवाद शुरू हो गया है।
त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनी है। कांग्रेस ने नए संसद भवन को पीएम मोदी का वैनिटी प्रोजेक्ट बताया है। इसका निर्माण जब से शुरू हुआ है, उसी समय से विवाद जारी है। इंडिया गेट के हरे-भरे इलाके को इस बिल्डिंग के लिए कुर्बान कर दिया गया।
कई विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी द्वारा नए संसद भवन का उद्घाटन करने पर अपनी आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया कि पीएम मोदी सरकार के प्रमुख हैं न कि विधायिका के प्रमुख। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति से इसका उद्घाटन क्यों नहीं कराया जा रहा। ओवैसी ने कहा -
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पीएम को संसद का उद्घाटन क्यों करना चाहिए? वह कार्यपालिका के प्रमुख हैं, विधायिका के नहीं। हमारे यहां शक्तियों का बंटवारा है। यह जनता के पैसे से बनाया गया है, पीएम अपने" दोस्तों "की तरह व्यवहार क्यों कर रहे हैं। क्या पीएम ने अपने निजी कोष से इसे प्रायोजित किया है?
-असदुद्दीन ओवैसी, एआईएमआईएम प्रमुख, 21 मई 2023 सोर्सः ट्विटर
28 मई को हिंदुत्व विचारक वी.डी. सावरकर की जयंती है। लोकसभा सचिवालय ने कहा कि स्पीकर ओम बिड़ला ने इस सप्ताह पीएम मोदी से मुलाकात की और उन्हें नए भवन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया।
तृणमूल सांसद सुखेंदु शेखर रे ने कहा - 26 नवंबर 2023 राष्ट्र को संसदीय लोकतंत्र का उपहार देने वाला भारतीय संविधान 75वें वर्ष में प्रवेश करेगा जो नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए उपयुक्त होता। लेकिन यह 28 मई, सावरकर के जन्मदिन पर किया जाएगा- कितना प्रासंगिक है?
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा- हमारे सभी संस्थापक पिताओं और माताओं का पूर्ण अपमान है। गांधी, नेहरू, पटेल, बोस, आदि की पूरी तरह से अस्वीकृति। डॉ. अंबेडकर का घोर अपमान।
सीपीआई महासचिव डी राजा ने कहा- प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख हैं, जबकि राष्ट्रपति भारतीय राज्य के प्रमुख हैं और उन्हें उद्घाटन के लिए आमंत्रित नहीं करना एक घोर अपमान है और उनकी स्थिति को कमजोर करता है।
नए संसद भवन की आधारशिला 10 दिसंबर, 2020 को रखी गई थी। नई इमारत दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की स्थिति में कुल 1,280 सदस्यों को समायोजित करने में सक्षम है।
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