सरकार अगले महीने शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए एक विधेयक पेश कर सकती है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह ख़बर आई है। कहा जा रहा है कि विधेयक को संसदीय स्थायी समिति को भेजा जा सकता है जो समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों की राय सुनेगी।
समान नागरिक संहिता पर फिर से चर्चा तब तेज हो गई है जब विदेश यात्रा से लौटने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य प्रदेश में समान नागरिक संहिता का ज़िक्र किया। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए समान नागरिक संहिता की वकालत की। यह भाजपा के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि एक परिवार के विभिन्न सदस्यों के लिए अलग-अलग नियम काम नहीं करते हैं और एक देश दो कानूनों पर नहीं चल सकता है।
पीएम मोदी ने दावा किया था कि संवेदनशील मुद्दे पर मुसलमानों को उकसाया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी यूसीसी की वकालत की है, लेकिन वोट बैंक की राजनीति करने वाले इसका विरोध कर रहे हैं। पीएम मोदी ने पूछा कि देश में दो प्रणालियां कैसे हो सकती हैं।
पीएम मोदी के बयान से देश भर में बहस छिड़ गई क्योंकि कई विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि वह कई राज्यों में चुनाव नजदीक आने पर राजनीतिक लाभ के लिए यूसीसी का मुद्दा उठा रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने पीएम मोदी पर महंगाई, बेरोजगारी और मणिपुर की स्थिति जैसी वास्तविक समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए यूसीसी मुद्दे का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
क़ानून और कार्मिक पर स्थायी समिति के कार्यक्रम के अनुसार, यह स्थायी समिति 14 जून 2023 को भारत के विधि आयोग द्वारा जारी सार्वजनिक नोटिस पर कानून पैनल और कानून मंत्रालय के कानूनी मामलों और विधायी विभागों के प्रतिनिधियों के विचारों को सुनेगी। 'पर्सनल लॉ की समीक्षा' विषय के तहत समान नागरिक संहिता पर विभिन्न हितधारकों से विचार आमंत्रित किया जा रहा है।
पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि मानसून सत्र जुलाई के तीसरे सप्ताह में शुरू होने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्र की बैठकें पुराने संसद भवन में शुरू होंगी और बीच में नई इमारत में शिफ्ट हो जाएंगी।
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