प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन में अफ़ग़ान क्षेत्र को कट्टरता और आतंकवाद का स्रोत बनने से रोकने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति में सुधार के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास की ज़रूरत है।
वह मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अफ़ग़ानिस्तान पर जी-20 एक्स्ट्राऑर्डिनरी शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इटली के प्रधानमंत्री मारियो ड्रैगी ने यह सम्मेलन आयोजित किया था। सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी के बयान को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्विटर पर भी पोस्ट किया है।
PM @narendramodi participated in the G20 Extraordinary Summit on Afghanistan earlier today, in virtual format.
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) October 12, 2021
Press release ➡️ https://t.co/SeJBzlZMA8
बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने यह सुनिश्चित करने की ज़रूरत बताई कि अफ़ग़ान क्षेत्र क्षेत्रीय या वैश्विक स्तर पर कट्टरपंथ और आतंकवाद का स्रोत नहीं बने। उन्होंने इस क्षेत्र में कट्टरपंथ, आतंकवाद, नशीले पदार्थों और हथियारों की तस्करी के गठजोड़ के ख़िलाफ़ साझा लड़ाई को आगे बढ़ाने की ज़रूरत बताई।
बयान में कहा गया है कि 'प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और अफ़ग़ानिस्तान के बीच सदियों पुराने लोगों के बीच आपसी संबंधों पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि पिछले दो दशकों में भारत ने अफ़ग़ानिस्तान में युवाओं और महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक विकास और उनकी क्षमता को बढ़ावा देने में योगदान दिया है।' प्रधानमंत्री ने इसका ज़िक्र कि भारत द्वारा अफ़ग़ानिस्तान में 500 से अधिक विकास परियोजनाओं को लागू किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अफ़ग़ान लोगों के मन में भारत के प्रति मैत्री की भावना है। उन्होंने संदेश दिया कि हर भारतीय भूख और कुपोषण का सामना कर रहे अफ़ग़ान लोगों का दर्द महसूस करता है।
ट्विटर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने अफ़ग़ान नागरिकों को तत्काल और निर्बाध मानवीय सहायता देने का आह्वान किया है।
A unified international response based on UNSC Resolution 2593 is necessary to improve the situation in Afghanistan.
— Narendra Modi (@narendramodi) October 12, 2021
उन्होंने यह भी कहा कि 'अफ़ग़ानिस्तान में स्थिति में सुधार के लिए यूएनएससी प्रस्ताव 2593 पर आधारित एकीकृत अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया ज़रूरी है।'
भारत की महीने भर की अध्यक्षता के तहत 30 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 2593 जारी किया गया था। यह इस बात पर जोर देता है कि अफ़ग़ानिस्तान को आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों के लिए अपनी धरती का इस्तेमाल नहीं करने देना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने भी सम्मेलन में भाग लिया। चांसलर मर्केल ने कहा कि जर्मनी अभी तक तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान की सरकार के रूप में मान्यता देने के लिए तैयार नहीं है। बता दें कि अफ़ग़ानिस्तान से हाल ही में अमेरिकी फौजें लौटी हैं और अब वहाँ तालिबान ने फिर से कब्जा जमा लिया है। समझा जाता है कि तालिबान एक तरफ़ तो अपनी सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाने की कोशिश में है, लेकिन दूसरी तरफ़ वह अपने पुराने ढर्रे पर ही चलता हुआ दिखाई दे रहा है।
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