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फोटो साभार: एक्स/@BJP4India

विपक्ष की आपत्ति के बीच पीएम मोदी ध्यान करने पहुँचे कन्याकुमारी 

जिस तरह प्रधानमंत्री मोदी चुनाव प्रचार ख़त्म होते ही 2019 में केदारनाथ और 2014 में प्रतापगढ़ गए थे, उसी तरह इस बार कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल पहुँचे हैं। विपक्षी दलों की आपत्ति के बावजूद पीएम की यह यात्रा हो रही है। विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से अपनी शिकायत में कहा है कि साइलेंट पीरियड में कोई भी नेता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रचार नहीं कर सकता है। 

विपक्षी दलों के इस विरोध के बीच ही पीएम मोदी 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए तीन महीने तक चले व्यस्त अभियान के बाद ध्यान साधना करने तमिलनाडु के कन्याकुमारी पहुँच गए। उन्होंने इसके लिए एक चट्टानी टापू पर स्थित स्वामी विवेकानंद स्मारक के अंदर ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण ध्यान मंडपम को चुना है।

गुरुवार शाम को पीएम मोदी ने प्रसिद्ध श्री भगवती अम्मन मंदिर में प्रार्थना के साथ अपना ध्यान शुरू किया। फिर वह विवेकानंद स्मारक के लिए रवाना हुए। ध्यान शनिवार दोपहर तक जारी रहेगा। 1970 में निर्मित इस स्मारक पर स्वामी विवेकानंद ने 1892 में तीन दिनों तक ध्यान किया था। ऐसा माना जाता है कि इस घटना ने उनकी आध्यात्मिक यात्रा और भारत के लिए उनके दृष्टिकोण को प्रभावित किया।

बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए खास इंतज़ाम किए गए हैं। उनकी सुरक्षा के लिए जमीन पर कुल 3,500 पुलिसकर्मी तैनात हैं। समुद्र में नावों में तमिलनाडु के तटीय पुलिस के 300 कर्मी तैनात हैं, इसके अलावा तटरक्षक बल और भारतीय नौसेना द्वारा दो बाहरी सुरक्षा परतें भी तैनात हैं।

पीएम मोदी की यह यात्रा उत्तराखंड के केदारनाथ में 2019 में किए गए उनके ध्यान की याद दिलाती है। भाजपा के इस दावे के बावजूद कि यह ध्यान अराजनीतिक है, विपक्षी दलों ने इस यात्रा के समय को लेकर सवाल उठाए हैं। 
विपक्ष ने पीएम मोदी के 30 मई को तमिलनाडु में ध्यान करने जाने को 'चुनावी स्टंट' क़रार दिया है और इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की है।
इसको लेकर अभिषेक मनु सिंघवी के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को चुनाव आयोग से मिला था। उन्होंने कहा था कि हमने अपनी शिकायत में चुनाव आयोग से कहा है कि साइलेंट पीरियड में कोई भी नेता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रचार नहीं कर सकता है। 
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कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के चुनाव आयोग से मिलने के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि 'प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि वे 30 मई की शाम से मौन व्रत पर बैठेंगे, लेकिन हम सभी जानते हैं कि साइलेंट पीरियड 30 मई से शुरू होगा और इस बीच ऐसी घोषणा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।' 
2014 और 2019 के चुनाव में भी कुछ इसी तरह के नजारे देखे गए थे। तब पीएम मोदी के दौरे का टीवी चैनलों ने लाइव प्रसारण किया था। तब भी सवाल उठे थे। इस बार भी सवाल उठ रहे हैं।

इसी को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को लोकसभा चुनावों के बीच कन्याकुमारी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना की आलोचना की और कहा था कि अगर ध्यान का प्रसारण किया गया तो उनकी टीएमसी चुनाव आयोग से शिकायत करेगी।

उन्होंने कहा था, 'क्या कोई भी व्यक्ति कैमरे के सामने ध्यान करता है? वह मूल रूप से लोगों को अपना ध्यान दिखाना चाहता है। यह जगह अच्छी है। स्वामी विवेकानंद को यह जगह बहुत पसंद थी। मोदी वहाँ ध्यान करेंगे। वह कहते हैं कि वह भगवान हैं। फिर उन्हें ध्यान क्यों करना चाहिए…?' टीएमसी सुप्रीमो ने कहा था कि मोदी के ध्यान का प्रसारण करना लोकसभा चुनावों के लिए लागू आचार संहिता का उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा था, 'वह इस तरह से प्रचार नहीं कर सकते। वह ध्यान कर सकते हैं लेकिन उसका प्रसारण नहीं किया जा सकता। यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा और हम चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे।'

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क़मर वहीद नक़वी
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