अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) की एक रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 173 में से 110 भाषणों में मुस्लिम विरोधी टिप्पणियां कीं। रिपोर्ट में गुजरात, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और झारखंड में दिए गए पीएम मोदी के भाषणों का जिक्र है।
रिपोर्ट में कहा गया है, "मोदी ने स्पष्ट रूप से राजनीतिक विरोध को कमजोर करने के इरादे से इस्लामोफोबिक टिप्पणी की। हालांकि जिसके बारे में उन्होंने कहा कि उन्होंने सिर्फ मुस्लिम अधिकारों को बढ़ावा दिया। लेकिन मोदी के दुष्प्रचार से बहुसंख्यक हिंदू समुदाय के बीच डर पैदा हुआ।"
रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव के बाद देशभर में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ कम से कम 28 हमले हुए, जिनमें 12 मुस्लिम पुरुषों और एक ईसाई महिला की मौत हो गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत का चुनाव आयोग इन उल्लंघनों का जवाब देने के लिए पर्याप्त कार्रवाई करने में विफल रहा। रिपोर्ट के मुताबिक “यह पता चलने के बावजूद कि मोदी ने चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है, आयोग ने पीएम का नाम लिए बिना केवल भाजपा अध्यक्ष के कार्यालय को लिखा, और कहा कि भाजपा और उसके “स्टार प्रचारक” धार्मिक या सांप्रदायिक आधार पर भाषण देने से बचें। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन निर्देशों ने मोदी को नहीं रोका, जो पूरे अभियान के दौरान नफरत भड़काने वाले भाषण देते रहे।
एचआरडब्ल्यू एशिया के डायरेक्टर इलेन पियर्सन ने कहा कि इन भड़काऊ भाषणों ने मुसलमानों, ईसाइयों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ दुर्व्यवहार को सामान्य (नॉर्मल) बना दिया है। उन्होंने कहा, "भारतीय प्रधान मंत्री मोदी और भाजपा नेताओं ने अपने अभियान भाषणों में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ स्पष्ट रूप से झूठे दावे किए।"
“
भारत सरकार के बहुलता और 'लोकतंत्र की जननी' होने के दावे उसके अपमानजनक अल्पसंख्यक विरोधी कार्यों के सामने खोखले लगते हैं।
-इलेन पियर्सन, डायरेक्टर एचआरडब्ल्यू एशिया सोर्सः द हिन्दू
उन्होंने कहा- "नई मोदी सरकार को अपनी भेदभावपूर्ण नीतियों को उलटने, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर कार्रवाई करने और प्रभावित लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की जरूरत है।"
बुलडोजर अत्याचार का जिक्र
रिपोर्ट में इस बात पर भी ध्यान दिया गया कि कैसे बीजेपी ने अभियान के दौरान मुसलमानों को बदनाम करने वाले और गलत सूचना फैलाने वाले वीडियो पोस्ट किए और कैसे पार्टी के भीतर के नेताओं ने स्थिति को खराब कर दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि “गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और पूर्व सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर सहित कई अन्य भाजपा नेताओं ने हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ खड़ा करने वाले भाषण दिए, जिससे लोगों में नफरत और असुरक्षा की भावना पैदा हुई। हालाँकि, राजस्थान के बांसवाड़ा में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा था, जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुसलमानों को 'घुसपैठिए' और 'अधिक बच्चे पैदा करने वाले' कहा था।
मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र की आड़ लेकर भी मुस्लिों पर हमला किया था। मोदी ने कहा था कि कांग्रेस आई तो वो लोगों की एक भैंस ले लेगी, मकान ले लेगी और मुसलमानों में बांट देगी। मोदी ने यह भी आरोप लगाया था कि कांग्रेस "मंगलसूत्र छीन लेगी"। रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे झूठ उन्होंने कई प्रचार भाषणों में दोहराया था।
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