आजादी का एक नाम अभय भी है। अभय का सिर्फ यही अर्थ नहीं होता कि हम किसी से न डरें बल्कि उसका एक अर्थ यह भी होता है कि हमसे भी कोई न डरे। अभय तभी संपूर्ण होता है। मनुष्य जितना अभय की तलाश करता है उतना ही उसे भयभीत करने वाले सक्रिय हो जाते हैं। अगर भयभीत करने वाले पीछे छूट गए तो उसे ठगने वाले आगे आ जाते हैं। इस संदर्भ में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का संसद में दिया गया भाषण बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा था `डरो मत डराओ मत’। उन्होंने अभय के लिए विभिन्न धर्मों के प्रवर्तकों और देवी देवताओं की अभय मुद्राएं भी प्रदर्शित की। तो क्या वही आजादी है। वह आजादी की पहली और अनिवार्य शर्त है।