आजादी का एक नाम अभय भी है। अभय का सिर्फ यही अर्थ नहीं होता कि हम किसी से न डरें बल्कि उसका एक अर्थ यह भी होता है कि हमसे भी कोई न डरे। अभय तभी संपूर्ण होता है। मनुष्य जितना अभय की तलाश करता है उतना ही उसे भयभीत करने वाले सक्रिय हो जाते हैं। अगर भयभीत करने वाले पीछे छूट गए तो उसे ठगने वाले आगे आ जाते हैं। इस संदर्भ में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का संसद में दिया गया भाषण बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहा था `डरो मत डराओ मत’। उन्होंने अभय के लिए विभिन्न धर्मों के प्रवर्तकों और देवी देवताओं की अभय मुद्राएं भी प्रदर्शित की। तो क्या वही आजादी है। वह आजादी की पहली और अनिवार्य शर्त है।
आजादी का एक नाम अभय भी है
- विचार
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- 15 Aug, 2024

आप आजादी को किस नजर से देखते हैं। क्या मुल्क की आजादी सब कुछ है और उसके आगे इंसानी आजादी कुछ भी मायने नहीं रखती। वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार त्रिपाठी कहते हैं- आज़ादी का मतलब यह नहीं कि फौज और पुलिस को कार्रवाई की छूट रहे और जनता को सहने की। आज़ादी का अर्थ यह भी नहीं है जो धनवान है उसे हर प्रकार से धन जमा करने की आज़ादी हो और जो सामान्य जन है उसे अपने कर का सही मूल्य भी न मिल पाए। पढ़िए उनका विचारोत्तेजक लेखः
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।