केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इससे जुड़े आठ अन्य संगठनों के खिलाफ भी बैन लगाने की कार्रवाई की गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
बीते दिनों में जिस तरह एनआईए ने पीएफआई के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी, उसके बाद से ही यह कहा जा रहा था कि केंद्रीय गृह मंत्रालय जल्द ही पीएफआई पर बैन लगा सकता है और ऐसा ही हुआ।
पिछले कुछ दिनों में एनआईए ने कई राज्यों में पीएफआई के ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी और बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था व हिरासत में लिया था।
यह छापेमारी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, असम आदि प्रदेशों में हुई थी।
क्या कहा है नोटिफिकेशन में?
गृह मंत्रालय ने इस कार्रवाई के लिए पीएफआई का स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी), जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) से संबंध होने का हवाला दिया है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पीएफआई और इससे जुड़े हुए संगठनों को तत्काल प्रभाव से यूएपीए कानून के तहत गैर कानूनी संगठन घोषित किया जाता है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल हैं और यह देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं और देश की शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकते हैं।
8 सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई
इसके अलावा पीएफआई के सहयोगी संगठनों- रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है।
एनआईए के द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ छापेमारी के विरोध में पीएफआई के सदस्यों ने बीते दिनों केरल में हड़ताल की थी और तमिलनाडु में भी कई जगहों पर जोरदार प्रदर्शन किया था।
ताबड़तोड़ छापेमारी
सोमवार रात और मंगलवार को हुई छापेमारी में कर्नाटक में बेंगलुरु, बीदर, कोलार, चित्रदुर्गा, चामराजनगर आदि जगहों से पीएफआई के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था जबकि महाराष्ट्र के पुणे में पीएफआई के कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई थी।
असम के 8 जिलों से पीएफआई के कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था।
मेरठ, बुलंदशहर और सीतापुर से बड़ी संख्या में पीएफआई से जुड़े संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया था। दिल्ली में शाहीन बाग और जामिया इलाके में भी पीएफआई के सदस्यों के खिलाफ जांच एजेंसी ने कार्रवाई की थी। यहां दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और स्थानीय पुलिस भी एनआईए के साथ इस कार्रवाई में शामिल रही थी। इससे पहले तेलंगाना के निजामाबाद, कुरनूल, गुंटूर और नेल्लोर जिलों में एनआईए के अफसरों ने छापेमारी की थी।
पीएफआई पर लगे हैं आरोप
केरल के लगभग सभी जिलों में पीएफआई की जबरदस्त मौजूदगी है और वहां इस संगठन पर हत्या करने, दंगा करने और आतंकी संगठनों से तार जुड़े होने के आरोप लगते रहे हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2012 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने हाई कोर्ट से कहा था कि पीएफआई प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी सिमी का ही एक नया रूप है। राज्य सरकार ने अदालत को सौंपे गए हलफनामे में कहा था कि पीएफआई के कार्यकर्ता हत्या के 27 मामलों में शामिल रहे हैं और इनमें से अधिकतर मामले सीपीएम और आरएसएस के कार्यकर्ताओं की हत्या के हैं।
इसके 2 साल बाद राज्य सरकार के द्वारा हाई कोर्ट को सौंपे गए एक और हलफनामे में कहा गया था कि पीएफआई का एजेंडा धर्मांतरण व मुद्दों का सांप्रदायीकरण करके समाज का इस्लामीकरण करना है।
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