loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
56
एनडीए
24
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
233
एमवीए
49
अन्य
6

चुनाव में दिग्गज

बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार

जीत

हेमंत सोरेन
जेएमएम - बरहेट

जीत

पीएफआईः बैन पर तीखी प्रतिक्रियाएं, संघ से तुलना

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इससे जुड़े संगठनों पर पांच साल का बैन लगाने के विरोध और समर्थन पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं बहुत तीखी हैं। बीजेपी के नेता, मंत्री और कार्यकर्ता इसे मोदी सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं तो कांग्रेस, जेडीयू, सपा में तमाम ऐसे लोग भी हैं जो आरएसएस को इसके जैसा ही संगठन मानते हुए बैन की मांग कर रहे हैं। आरजेडी संस्थापक लालू यादव ने पीएफआई की तुलना आरएसएस से करते हुए कहा कि संघ पर क्यों नहीं बैन लगाया जा रहा है। पीएफआई से पहले संघ पर बैन लगना चाहिए था।

कांग्रेस की ओर से महासचिव जयराम रमेश ने पीएफआई बैन पर अधिकृत बयान जारी किया है। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि पार्टी हर तरह की साम्प्रदायिकता के खिलाफ है। चाहे वो बहुसंख्यकों की हो या अल्पसंख्यकों की हो। इनमें कोई भेद नहीं है। कांग्रेस पार्टी हमेशा से ऐसी विचारधाराओं और संगठनों से लड़ती रही है जिन्होंने धर्म का इस्तेमाल समाज में ध्रुवीकरण के लिए किया है। जिन्होंने धर्म का इस्तेमाल नफरत, पूर्वाग्रह और हिंसा फैलाने के लिए किया है। भारत की धर्मनिरपेक्षता और देश को एकजुट रखना कांग्रेस की पहली प्राथमिकता है।

ताजा ख़बरें

कांग्रेस की इस अधिकृत प्रतिक्रिया से अलग हटकर कांग्रेस के कई नेता अलग तरह से भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोकसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप और केरल से सांसद के.. सुरेश ने बुधवार 28 सितंबर को मल्लपुरम में कहा  हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं। पीएफआई बैन कोई उपाय नहीं है। आरएसएस भी पूरे देश में हिंदू साम्प्रदायिकता फैला रहा है। आरएसएश और पीएफआई दोनों समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। केवल पीएफआई ही क्यों?

बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि पीएफआई पर बैन राजनीतिक हित साधने के लिए लगाया गया है। इसके जरिए समुदाय विशेष को टारगेट किया गया है। अगर पीएफआई देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है तो फिर उस पर आजीवन प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया। पांच साल के बैन का क्या अर्थ है। उन्होंने कहा कि तमाम संगठन अपनी धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां चलाते हैं। इस तरह ऐसे बैन का कोई मतलब नहीं है।

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीएफआई पर प्रतिबंध का स्वागत किया और कहा, यह नया भारत है, जहां आतंकवादी, अपराधी और संगठन और देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले व्यक्ति स्वीकार्य नहीं हैं।

सपा सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने कहा कि पीएफआई को बैन नहीं करना चाहिए था। उन्होंने इसे प्रतिबंधित कर दिया है क्योंकि यह एक मुस्लिम समर्थक संगठन है।
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ ने कहा, पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले पीएफआई को देश में इस तरह के नारे लगाने का कोई अधिकार नहीं है। गृह मंत्रालय उस पर कार्रवाई करेगा। केंद्र सरकार ने सही फैसला किया है। यह देशभक्तों का देश है।
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने कहा, पीएफआई ने कई राज्यों में आतंकवादी घटनाएं कीं, देश को तोड़ दिया और हिंसा फैलाई। इसलिए हम इस कदम का स्वागत करते हैं।

देश से और खबरें
कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने कहा कि पीएफआई के कुछ महत्वपूर्ण पदाधिकारी सीमा पार गए और ट्रेनिंग ली। इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने का समय आ गया था। भारत सरकार ने सही निर्णय लिया। यह सभी राष्ट्र-विरोधी समूहों के लिए एक संदेश है। मैं लोगों से ऐसे संगठनों से न जुड़ने का आग्रह करता हूं। कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा, मैं इसका स्वागत करता हूं। केंद्र सरकार ने सांप्रदायिक पीएफआई और उसके अन्य सहयोगियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की है जो देश में आतंकवादी कृत्यों को बढ़ावा दे रहे थे।
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, मैं भारत सरकार द्वारा प्रतिबंध का स्वागत करता हूं। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ है कि भारत के खिलाफ शैतानी, विभाजनकारी या विघटनकारी डिजाइन वाले किसी भी व्यक्ति से सख्ती से निपटा जाएगा।

महाराष्ट्र के बीजेपी नेता नितेश राणे ने कहा - माननीय पीएम @narendramodi जी और माननीय एचएम को सलाम। @AmitShah जी! PFI पर प्रतिबंध लगाना समय की आवश्यकता थी...।
बीजेपी के वी. मुरलीधरन ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं। पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना इस तथ्य को दोहराता है कि @narendramodi सरकार शांति और देश की स्थिरता को बाधित करने के उद्देश्य से बलों पर सख्त कार्रवाई करती है।

मुस्लिम लीग ने स्वागत किया

मल्लपुरम में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सीनियर नेता एमके मुनीर ने कहा- पीएफआई हमेशा समाज और शांतिप्रिय लोगों के लिए खतरा रहा है। पहले सिमी था, फिर उसका एनडीएफ और उसके बाद पीएफआई का गठन किया गया था। हमें इस फैसले का स्वागत करने की जरूरत है। पहले आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और फिर इसे फिर से संगठित किया गया था। हम सभी शांतिप्रिय लोग धर्मनिरपेक्ष ताकतों का समर्थन करते हैं और फासीवाद के खिलाफ लड़ते हैं।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें