बाबूलाल मरांडी
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हेमंत सोरेन
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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और इससे जुड़े संगठनों पर पांच साल का बैन लगाने के विरोध और समर्थन पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं बहुत तीखी हैं। बीजेपी के नेता, मंत्री और कार्यकर्ता इसे मोदी सरकार की बहुत बड़ी उपलब्धि बता रहे हैं तो कांग्रेस, जेडीयू, सपा में तमाम ऐसे लोग भी हैं जो आरएसएस को इसके जैसा ही संगठन मानते हुए बैन की मांग कर रहे हैं। आरजेडी संस्थापक लालू यादव ने पीएफआई की तुलना आरएसएस से करते हुए कहा कि संघ पर क्यों नहीं बैन लगाया जा रहा है। पीएफआई से पहले संघ पर बैन लगना चाहिए था।
कांग्रेस की ओर से महासचिव जयराम रमेश ने पीएफआई बैन पर अधिकृत बयान जारी किया है। कांग्रेस पार्टी ने कहा कि पार्टी हर तरह की साम्प्रदायिकता के खिलाफ है। चाहे वो बहुसंख्यकों की हो या अल्पसंख्यकों की हो। इनमें कोई भेद नहीं है। कांग्रेस पार्टी हमेशा से ऐसी विचारधाराओं और संगठनों से लड़ती रही है जिन्होंने धर्म का इस्तेमाल समाज में ध्रुवीकरण के लिए किया है। जिन्होंने धर्म का इस्तेमाल नफरत, पूर्वाग्रह और हिंसा फैलाने के लिए किया है। भारत की धर्मनिरपेक्षता और देश को एकजुट रखना कांग्रेस की पहली प्राथमिकता है।
कांग्रेस की इस अधिकृत प्रतिक्रिया से अलग हटकर कांग्रेस के कई नेता अलग तरह से भी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। लोकसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप और केरल से सांसद के.. सुरेश ने बुधवार 28 सितंबर को मल्लपुरम में कहा हम आरएसएस पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हैं। पीएफआई बैन कोई उपाय नहीं है। आरएसएस भी पूरे देश में हिंदू साम्प्रदायिकता फैला रहा है। आरएसएश और पीएफआई दोनों समान हैं, इसलिए सरकार को दोनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। केवल पीएफआई ही क्यों?
Kerala | We demand for RSS also to get banned. #PFIban is not a remedy, RSS is also spreading Hindu communalism throughout the country. Both RSS & PFI are equal, so govt should ban both. Why only PFI?: Kodikunnil Suresh, Congress MP & Lok Sabha Chief Whip, in Malappuram pic.twitter.com/nzCVTImWw4
— ANI (@ANI) September 28, 2022
बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि पीएफआई पर बैन राजनीतिक हित साधने के लिए लगाया गया है। इसके जरिए समुदाय विशेष को टारगेट किया गया है। अगर पीएफआई देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है तो फिर उस पर आजीवन प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया। पांच साल के बैन का क्या अर्थ है। उन्होंने कहा कि तमाम संगठन अपनी धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियां चलाते हैं। इस तरह ऐसे बैन का कोई मतलब नहीं है।
WATCH | PFI बैन पर बिहार के मंत्री का बड़ा बयान
— ABP News (@ABPNews) September 28, 2022
एक समुदाय को टारगेट किया गया: सुधाकर सिंह @romanaisarkhan | https://t.co/smwhXUROiK#PFIBanned #PFI #Bihar #SudhakarSingh pic.twitter.com/HGf3vNHPLp
#WATCH | On #PFIban, Assam CM Himanta Biswa Sarma says, "Assam govt has already initiated follow-up action. We have sealed PFI & CFI offices in Kamrup, Baksa & Karimganj & picked up more members of PFI; will pick up more. State notification was issued within an hour or so." pic.twitter.com/Y6wW8fgD7H
— ANI (@ANI) September 28, 2022
#BREAKING IUML has reacted to the ban on PFI. Says “We welcome the move if only it is reasonably”@PradeepPillai, @nimumurali & @pranshumisraa with details
— News18 (@CNNnews18) September 28, 2022
(@poonam_burde)#PFI #PFIBan pic.twitter.com/y7niZSYlC5
मल्लपुरम में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सीनियर नेता एमके मुनीर ने कहा- पीएफआई हमेशा समाज और शांतिप्रिय लोगों के लिए खतरा रहा है। पहले सिमी था, फिर उसका एनडीएफ और उसके बाद पीएफआई का गठन किया गया था। हमें इस फैसले का स्वागत करने की जरूरत है। पहले आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था और फिर इसे फिर से संगठित किया गया था। हम सभी शांतिप्रिय लोग धर्मनिरपेक्ष ताकतों का समर्थन करते हैं और फासीवाद के खिलाफ लड़ते हैं।
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