पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने खुद पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने को स्वीकार किया है। इसी के साथ उसने अपनी सभी यूनिट को भंग करने की भी घोषणा की है। लेकिन पीएफआई से संबद्ध रहे कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) ने इस बैन को अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है। क्योंकि बैन के दायरे में यह संगठन भी आ गया है।
पीएफआई के केरल राज्य महासचिव अब्दुल सत्तार ने एक बयान में कहा - सभी सदस्यों और जनता को सूचित किया जाता है कि पीएफआई को भंग कर दिया गया है। गृह मंत्रालय ने PFI पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की है। हम अपने महान देश के कानून का पालन करने वाले नागरिकों के रूप में, इसे स्वीकार करते हैं, संगठन भी इस निर्णय को स्वीकार करता है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत PFI और उससे जुड़े संगठनों को एक गैरकानूनी संस्था के रूप में पांच साल की अवधि के लिए तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित कर दिया है। अधिसूचना में कहा गया है कि पीएफआई और उसके सहयोगी या मोर्चे गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त हैं, जो देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के लिए हानिकारक हैं। देश की सार्वजनिक शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने और आतंकवाद का समर्थन करने की क्षमता रखते हैं।
पीएफआई के साथ-साथ इससे जुड़े जिन संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उसमें रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वुमन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल शामिल हैं।
अन्य राज्यों में भी बैनः पीएफआई पर अन्य राज्यों में भी बैन लगना शुरू हो गया है। हालांकि राज्यों के बैन सांकेतिक हैं, क्योंकि केंद्र सरकार ने जब देशभर में इस पर बैन लगा दिया है तो वो सभी जगह शामिल है। इस मामले में केरल ने बैन लगाने में सबसे पहले पहल की है। केरल ही वो राज्य है, जहां पीएफआई पैदा हुई। केरल में पीएफआई पर आरएसएस कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप लगता रहा है। इसी तरह पीएफआई के कार्यकर्ताओं की हत्या का आरोप आरएसएस पर लगता रहा है। दोनों संगठनों के खिलाफ केरल में कई जांच चल रही है।
केरल की तरह महाराष्ट्र सरकार ने भी पीएफआई पर बैन लगाया है। केरल के बाद महाराष्ट्र दूसरा ऐसा राज्य था, जहां पीएफआई का संगठन खड़ा हुआ था। मुंबई में उसका दफ्तर था। यूपी, कर्नाटक और गुजरात ने भी पीएफआई पर बैन लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
कोर्ट में चुनौती
पीएफआई से जुड़े कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) ने उस पर लगे प्रतिबंध को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया है। उसने गुरुवार को एक बयान में कहा कि इसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। उसने यह भी कहा कि सीएफआई ने देश में संगठन की सभी गतिविधियों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। अब हम अदालत में जा रहे हैं। सीएफआई का देश के संविधान में अटूट विश्वास है।
सीएफआई ने बयान में कहा - हमारे युवा कार्यकर्ता शैक्षणिक गतिविधियों के प्रचार प्रसार में लगे थे। किसी भी जांच एजेंसी के पास हमारे खिलाफ कोई सबूत नहीं है। हमसे जुड़े सभी छात्र-छात्राओं से हम अनुरोध करते हैं कि वे अब हमारे संगठन यानी सीएफआई के नाम पर कोई गतिविधि नहीं करें। आज के बाद से हमारे नाम पर की जाने वाली कोई भी गतिविधि, सोशल मीडिया पोस्ट, टिप्पणी के लिए सीएफआई जिम्मेदार नहीं होगी। चूंकि यह अब प्रतिबंधित संगठन है, इसलिए अब कोई इसके नाम पर किसी भी तरह की गतिविधि में हिस्सा नहीं ले।
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