पेट्रोल की क़ीमत लगातार बढ़ती जा रही है और हालात यह हैं कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इसकी क़ीमत 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गयी है। महंगा पेट्रोल आम आदमी की कमर तो तोड़ ही रहा है, तेल डालने वाली मशीनें भी इस रीडिंग को लेने में फ़ेल हो गयी हैं। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ये मशीनें पुरानी हैं और इनमें दो अंकों को ही दिखाने की व्यवस्था है, ये मशीनें तीन अंकों को नहीं दिखा पा रही हैं और लोगों को पेट्रोल नहीं मिल पा रहा है।
जानकारों के मुताबिक़, 2021 में अब तक पेट्रोल-डीज़ल के भाव 16 बार बढ़ चुके हैं और हालात ये हो गए हैं कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पेट्रोल 94.46 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुका है जबकि डीजल की क़ीमत 85.70 रुपये प्रति लीटर हो चुकी है। राजधानी दिल्ली में पेट्रोल और डीजल की क़ीमत क्रमश: 88.14 और 78.74 रुपये प्रति लीटर हो चुकी है।
2014 के लोकसभा चुनाव से पहले पेट्रोल-डीजल की क़ीमतों को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार पर बरसने वाली बीजेपी के राज में ईंधन की क़ीमत आसमान छू रही हैं। लेकिन इसे लेकर सरकार कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
सीधा सवाल यही खड़ा होता है कि आख़िर अगर भोपाल जैसे हालात दूसरे शहरों में भी बने तो क्या होगा। लोगों को तो पेट्रोल और डीजल डलवाना ही पड़ेगा, चाहे वह कितना ही महंगा क्यों न हो जाए लेकिन जब मशीनें तीन डिजिट नहीं दिखा पाएंगी और पेट्रोल पंप से उन्हें तेल नहीं मिलेगा, तो ऐसे में लोगों पर डबल मार पड़ेगी।
डीजल से महंगा पेट्रोल!
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में एक ऐसा दौर भी आया था जब डीज़ल का दाम पहली बार पेट्रोल से ज़्यादा हो गया था। ऐसा जून, 2020 में हुआ था और देश की आज़ादी के बाद ऐसा पहली बार हुआ था। तब कांग्रेस ने पूछा था कि उसकी सरकार के दौरान एक वक़्त जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल (क्रूड ऑयल) 107 डॉलर प्रति बैरल पर था, तब भारत में पेट्रोल 71.41 और डीज़ल 55.49 रुपये का मिल रहा था और मोदी सरकार के कार्यकाल में जून, 2020 में जब क्रूड ऑयल का दाम 42.41 डॉलर प्रति बैरल था, तब पेट्रोल 79.76 और डीज़ल 79.88 पर बिक रहा था, क्या सरकार बताएगी कि ऐसा क्यों हो रहा है।
सरकार को इस बात का जवाब देना चाहिए कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दाम कम होने के बाद भी देश में पेट्रोल और डीजल की क़ीमतें कम क्यों नहीं हुईं जबकि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमत बढ़ते ही हमारे वहां ईंधन के दाम बढ़ जाते हैं।
जब देश की आम जनता पेट्रोल-डीजल की बेतहाशा बढ़ती क़ीमतों के कारण त्राहि-त्राहि कर रही है, ऐसे में सरकार को एक्साइज ड्यूटी में कटौती करके जनता को राहत देने की कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की क़ीमतें कम हों तो उस हालत में जनता को उसका फ़ायदा मिलना चाहिए जो कि नहीं होता।
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