कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को पेट्रोल डीज़ल के दाम कम करने के आग्रह के बावजूद लगातार क़ीमतें बढ़ती जा रही हैं। पिछले 13 दिनों में पेट्रोल डीज़ल क़रीब 7 रुपये महँगा हो गया है।
शुक्रवार को पेट्रोल के दाम 56 पैसे और डीज़ल के दाम 63 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दिए गए। इस हिसाब से पिछले 13 दिन में पेट्रोल 7.11 रुपये और डीज़ल 7.67 रुपये प्रति लीटर महँगा हो गया है।
इसके साथ ही दिल्ली में पेट्रोल महँगा होकर 78.37 रुपये और डीज़ल महँगा होकर 77.06 रुपये प्रति लीटर हो गया है। देश भर में स्थानीय बिक्री कर या वैट के आधार पर दरों में वृद्धि की गई है और इस कारण इनकी क़ीमतें हर राज्य में अलग-अलग हैं।
तेल कंपनियों द्वारा 7 जून को दरों में संशोधन के बाद यह लगातार 13 वीं दैनिक वृद्धि है। 7 जून से पहले 82 दिनों तक क़ीमतों में संशोधन में विराम लगा दिया गया था। सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने के लिए उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया था और इसके तुरंत बाद मार्च के मध्य में दरों में बढ़ोतरी पर रोक लगायी गयी थी।
बता दें कि देश में डीज़ल और पेट्रोल के लगातार दाम बढ़ने पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने तीन दिन पहले ही आरोप लगाया था कि कोरोना महामारी के संकट में जब लोगों की हालत ख़राब है तो सरकार उन लोगों से मुनाफ़ा कमाने में लगी है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने इसको लेकर प्रधानमंत्री मोदी के नाम चिट्ठी लिखी। उन्होंने चिट्ठी में लिखा था कि पिछले एक हफ़्ते से लगातार तेल की क़ीमतें बढ़ाए जाने के पीछे का कोई कारण वह समझ नहीं पा रही हैं। सोनिया गाँधी की इस चिट्ठी को कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया था।
ट्वीट में लिखा गया है कि सोनिया गाँधी ने प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि तेल की बढ़ी हुई क़ीमतें तुरंत कम की जाएँ और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दामों में आई कमी का लाभ नागरिकों को दिया जाए।
बता दें कि उन्होंने जिस दिन चिट्ठी लिखी थी उसी दिन अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दामों में कमी आने के बावजूद देश में लगातार दसवें दिन पेट्रोल-डीज़ल की क़ीमतें बढ़ी थीं।
सोनिया ने लिखा, 'यह देखते हुए कि पिछले सप्ताह की तुलना में कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय क़ीमत में लगभग नौ प्रतिशत की गिरावट आई है, सरकार अपने लोगों से मुनाफ़ा कमाने में कोई कमी नहीं कर रही है, जबकि उनकी स्थिति ख़राब है।'
कांग्रेस अध्यक्ष ने साफ़-साफ़ लिखा कि सरकार क़ीमतें बढ़ाने की ग़लत सलाह पर क़रीब 2,60,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व अर्जित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने लिखा कि लोगों पर एक अतिरिक्त बोझ डालना न तो तर्कसंगत है और न ही उचित।
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