पेगासस स्पाईवेयर से जासूसी के मामले में केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि इसके लिए सरकार विशेषज्ञों की एक कमेटी बनाएगी जो इस मामले में लगे आरोपों की जांच करेगी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में लगाए गए आरोपों को भी केंद्र सरकार ने नकार दिया है।
सुनवाई के दौरान सीजेआई एन.वी. रमना ने कहा, “सरकार ने संतुष्ट नहीं किया कि पेगासस का इस्तेमाल हुआ या नहीं।”
सुप्रीम कोर्ट में दाख़िल किए गए दो पेज के हलफ़नामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि इस मामले में दायर याचिकाएं अनुमानों, अप्रमाणित मीडिया रिपोर्टों या अपुष्ट सामग्री पर आधारित हैं।
पेगासस जासूसी के मामले को लेकर विपक्षी दलों में कांग्रेस विशेषकर सड़क से संसद तक मोदी सरकार पर हमलावर है। संसद के मानसून सत्र में यह मुद्दा बेहद गरम रहा और इस वजह से सभी दिन संसद के दोनों सदनों में हंगामा होता रहा।
एम. एल. शर्मा, राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटस, पत्रकार एन. राम और शशि कुमार, जगदीप छोक्कर, नरेंद्र मिश्रा, रूपेश सिंह, परंजय गुहाठाकुरता, एस. एन. एम. आब्दी और एडिटर्स गिल्ड की ओर से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं।
फ्रांसीसी मीडिया ग़ैर-सरकारी संगठन फॉरबिडेन स्टोरीज़ ने स्पाइवेयर पेगासस बनाने वाली इज़रायली कंपनी एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस को हासिल किया तो पाया कि उसमें 10 देशों के 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों के फ़ोन नंबर हैं।
इनमें से 300 नंबर भारतीयों के हैं। फॉरबिडेन स्टोरीज़ ने 16 मीडिया कंपनियों के साथ मिल कर इस पर अध्ययन किया। इसमें भारतीय मीडिया कंपनी 'द वायर' भी शामिल है।
'द वायर' ने कहा था कि एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के दो लोग एन. के गांधी और टी. आई. राजपूत के फ़ोन नंबर भी शामिल थे। जब इनके फ़ोन नंबर एनएसओ की इस सूची में जोड़े गए तो वे दोनों सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री की रिट याचिका सेक्शन में थे।
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