टीवी स्क्रीन पर हर रोज़ नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले यदि उसी टीवी की रेटिंग बढ़ाने के लिए भी घूस दें तो उसको किस दर्जे की पत्रकारिता कहा जाएगा? रिपब्लिक टीवी चैनल के प्रमुख संपादक अर्णब गोस्वामी पर ऐसा ही आरोप लगा है। कथित तौर पर घूस लेने वाले ने ही ऐसा बयान दिया है।
बार्क के जिस पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता ने कथित तौर पर टीआरपी रेटिंग में गड़बड़ी कर अर्णब गोस्वामी की सहायता की थी अब उन्हीं के बयान से अर्णब की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। पार्थो दासगुप्ता ने पुलिस को लिखित में बयान दिया है। बयान में उन्होंने अर्णब से घूस लेने की बात स्वीकारी है। इसमें उन्होंने टीआरपी में गबड़बड़ी करने के लिए तीन साल में 40 लाख रुपये और दो बार होलीडे के लिए 12 हज़ार यूएस डॉलर यानी क़रीब साढ़े आठ लाख रुपये लेने की बात मानी है। हालाँकि यह लिखित बयान तब का है जब 11 जनवरी को मुंबई पुलिस ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी।
वह सप्लीमेंट्री चार्जशीट यानी पूरक आरोप पत्र वही है जिसमें वाट्सऐप चैट लीक हुई है और देश भर में इस पर हंगामा मचा। वह वाट्सऐप चैट कथित तौर पर पार्थो दासगुप्ता और अर्णब गोस्वामी के बीच की है। उस चैट में दोनों के बीच नज़दीकी संबंध, एक-दूसरे के लिए फायदे और ग़लत तरीक़े से फ़ैसलों को प्रभावित करने की बात उजागर होती है।
उस पूरक आरोप पत्र में वाट्सऐप चैट के अलावा, 59 लोगों के बयान, बार्क की फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट और पार्थो दासगुप्ता का लिखित बयान भी शामिल है। 3600 पन्नों का पूरक आरोप पत्र पार्थो दासगुप्ता, बार्क के पूर्व सीओओ रोमिल रामगढ़िया और रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के सीईओ विकास खानचंदानी के ख़िलाफ़ दायर किया गया था। नवंबर 2020 में 12 लोगों के ख़िलाफ़ पहली चार्जशीट दायर की गई थी।
पार्थो दासगुप्ता के इस लिखित बयान के अनुरूप ही वाट्सऐप चैट लीक में भी बात जाहिर होती है। लीक चैट में से 25 मार्च 2019 की कुछ चैट में पार्थो दासगुप्ता ने बार्क का एक गोपनीय पत्र अर्णब को भेजा।
इस लेटर के साथ भेजे गए मैसेज में कहा गया है कि उन्होंने एनबीए को जाम कर दिया है। उन्होंने चैट में लिखा है, 'रजत मेरे पीछे पड़ जाएँगे।' फिर वह पीएमओ की सहायता करवाने की माँग करते हैं। इस पर चैट में अर्णब आश्वस्त करते हैं कि 'हो जाएगा'। फिर लिखते हैं, 'रजत की कोई पहुँच नहीं है।' इस कथित चैट में वह यह भी लिखते हैं कि वह 'प्रधानमंत्री से गुरुवार को मिल सकते हैं'।
रिपोर्ट के अनुसार, पार्थो दासगुप्ता के लिखित बयान में कहा गया है, 'मैंने टीआरपी रेटिंग में हेरफेर सुनिश्चित करने के लिए अपनी टीम के साथ काम किया जिससे रिपब्लिक टीवी को नंबर 1 रेटिंग मिली। यह 2017 से 2019 तक जारी रहा होगा। इसके लिए 2017 में अर्णब गोस्वामी ने मुझे व्यक्तिगत रूप से सेंट रेजिस होटल, लोअर परेल में मुलाक़ात की थी और मुझे अपनी फ्रांस और स्विट्जरलैंड की पारिवारिक यात्रा के लिए 6000 डॉलर नकद दिए थे... 2019 में भी अर्णब गोस्वामी सेंट रेजिस में मुझसे व्यक्तिगत रूप से मिले थे और मुझे अपनी स्वीडन और डेनमार्क की पारिवारिक यात्रा के लिए 6000 डॉलर दिए। इसके अलावा 2017 में गोस्वामी ने मुझसे व्यक्तिगत रूप से आईटीसी परेल होटल में मुलाक़ात की थी और मुझे 20 लाख रुपये नकद दिए थे... 2018 और 2019 में भी... गोस्वामी ने मुझसे आईटीसी होटल परेल में मुलाक़ात की और मुझे हर बार 10 लाख रुपये दिए...।'
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, दासगुप्ता के वकील अर्जुन सिंह ने कहा, 'हम इस आरोप से पूरी तरह से इनकार करते हैं क्योंकि बयान को ड्यूरेस के तहत दर्ज किया गया होगा। क़ानून की अदालत में इसका कोई स्पष्ट मतलब नहीं है।' संपर्क करने पर गोस्वामी की क़ानूनी टीम के एक सदस्य ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। बता दें कि अर्णब गोस्वामी ने बार-बार दावा किया है कि उन्होंने कोई भी ग़लत काम नहीं किया है और आरोप लगाया है कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
पूरक आरोप पत्र में दी गई ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार रिपब्लिक टीवी, टाइम्स नाउ और आजतक सहित कई समाचार चैनलों के नाम हैं। इसमें कथित हेरफेर का ज़िक्र है जिसमें BARC के शीर्ष अधिकारियों द्वारा चैनलों की रेटिंग फिक्स की गई। इसमें इमेल और मैसेजेज को सबूत के तौर पर पेश किया गया है। इस पूरे मामले में 'द इंडियन एक्सप्रेस' ने जब प्रतिक्रिया माँगी तो बार्क ने कहा कि यह न्यायालय के अधीन है और जाँच चल रही है इसलिए वह जवाब नहीं दे सकता है। रिपब्लिक ने कहा है कि कारपोरेट और राजनीतिक हित के कारण रिपब्लिक को निशाना बनाया जा रहा है। टाइम्स नाउ ने कहा है कि उसने नियमों के तहत कुछ भी ग़लत नहीं किया है। इंडिया टुडे ने प्रतिक्रिया नहीं दी।
बता दें कि पूरक आरोप-पत्र में कहा गया है कि विकास एस खानचंदानी, एआरजी आउटलेयर मीडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोमिल वी रामगढ़िया और ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी पार्थो दासगुप्ता ने अन्य आरोपियों के साथ मिलकर टीआरपी में हेरफेर करने के लिए व्यूअरशिप डेटा में हेरफेर करने की साज़िश रची।
पार्थो दासगुप्ता को दिसंबर महीने के आख़िरी दिनों में गिरफ़्तार किया गया था। इससे पहले टीआरपी स्कैम के मामले में ही रिपब्लिक टीवी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास खानचंदानी को मुंबई पुलिस गिरफ़्तार कर चुकी थी। अब तक कम से कम 15 गिरफ़्तारी हो चुकी है।
हालाँकि 29 दिसंबर को पेश रिमांड रिपोर्ट में भी आरोप लगाया गया है कि अर्णब गोस्वामी ने दासगुप्ता और बार्क के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी - पूर्व सीओओ रोमिल रामगढ़िया को भुगतान किया। रामगढ़िया पर रिपब्लिक टीवी के अंग्रेजी और हिंदी चैनलों की टीआरपी में हेरफेर करने के लिए 'कुछ चैनलों को गुप्त और गोपनीय जानकारी देने' का आरोप है।
बता दें कि टीआरपी में गड़बड़ी का यह मामला 8 अक्टूबर को तब सामने आया जब मुंबई पुलिस ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी। 6 अक्टूबर को केस दर्ज किया गया था। मुंबई पुलिस का दावा है कि कुछ टीवी चैनल पैसे देकर अपनी टीआरपी बढ़ाया करते थे। इस मामले में रिपब्लिक टीवी पर भी गंभीर आरोप लगे हैं।
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