क्या सरकार 2015 की 'अवार्ड वापसी' जैसी शर्मिंदगी से आगे बचना चाहती है? आठ साल पहले बढ़ती असहिष्णुता के मामले को लेकर बड़ी संख्या में साहित्यकारों ने अवार्ड वापस कर दिए थे। इससे सरकार की काफ़ी किरकिरी हुई थी। अब एक संसदीय पैनल ऐसी घटना को रोकने की तैयारी में है। इसने पुरस्कार विजेताओं से एक शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने की सिफारिश की है कि वे किसी भी राजनीतिक घटना के विरोध में किसी भी स्तर पर अपने पुरस्कार वापस नहीं लौटाएँगे। यदि यह सिफारिश मान ली गई तो फिर पुरस्कार पाने वाले किसी भी हालत में अवार्ड नहीं लौटा पाएँगे।
चाहकर भी 2015 जैसी 'पुरस्कार वापसी' नहीं कर पाएँगे? सरकार चिंतित क्यों
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- 26 Jul, 2023

क्या 'अवार्ड वापसी' जैसी किसी घटना को अब नहीं होने देने की तैयारी है? आख़िर ऐसा क्यों किया जा रहा है? जानें आख़िर 2015 में क्या हुआ था कि इससे सीख लेने की तैयारी की जा रही है।
तो सवाल है कि आख़िर सरकार इस स्तर पर फ़ैसले लेने को मजबूर क्यों हुई? समझा जाता है कि यह फ़ैसला 2013 के घटनाक्रमों को देखते हुए लिया गया है। उस समय लेखकों ने साहित्य अकादमी को बताया था कि उनके पुरस्कार लौटाने का कारण बढ़ती असहिष्णुता और कर्नाटक के एक प्रतिष्ठित लेखक एम एम कलबुर्गी की हत्या का विरोध करना था।