अजित पवार ने शरद पवार को क़रारा जवाब दिया है। उन्होंने पार्टी तोड़कर और आज शक्ति प्रदर्शन कर ही नहीं, बल्कि आज की बैठक के बाद शरद पवार पर निशाना साधकर भी। उन्होंने बार-बार शरद पवार को सम्मान देने की बात कहते हुए उनको चुभने वाले बयान दिये। उन्होंने संकेतों में साफ़-साफ़ कह दिया कि उन्हें (शरद पवार को) तो बहुत पहले ही पार्टी को छोड़ देना चाहिए था, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए। उन्होंने अपने चाचा पर चुन-चुनकर हमला किया।
अजित पवार बुधवार को एक बैठक में शक्ति प्रदर्शन कर एनसीपी के बागी गुट को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शरद पवार से कहा कि अब उनके संन्यास लेने का समय आ गया है। पवार ने यह भी कहा कि शरद पवार को एनसीपी की कमान उन्हें सौंप देनी चाहिए। अजित पवार ने घोषणा की कि वह पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न लेंगे क्योंकि उन्हें अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त है। लेकिन इसके बावजूद वह एनसीपी पर दावा जताने की लड़ाई में दो-तिहाई के आंकड़े (36 विधायक) से पीछे रह गए।
हालाँकि, अजित ने दावा किया, 'सभी विधायक मेरे संपर्क में हैं, यहाँ तक कि वे विधायक भी जो (शरद पवार की) दूसरी बैठक में हैं।' 29 विधायक अजित पवार के खेमे की बैठक में शामिल हुए थे।
इसी बैठक में अजित पवार ने अपने चाचा पर चौतरफ़ा हमला किया। उन्होंने शरद पवार की उम्र से लेकर नेतृत्व, 1978 की उनकी बगावत, 2019 में सरकार के गठन, एनसीपी के विकास तक के मामलों को लेकर घेरा। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ भी की। तो सवाल है कि क्या यही वो वजह हैं जिसको लेकर अजित पवार ने बगावत की? जानिए, उन पाँच मुद्दों को जिनको लेकर अजित पवार ने शरद पवार पर बड़ा हमला किया।
1. '1978 में भी तो पार्टी टूटी थी'
अपने चाचा से बगावत करने के आरोपों का सामना कर रहे अजित पवार ने 1978 में पार्टी टूटने की घटना को याद किया और संकेतों में शरद पवार को यह संदेश देने की कोशिश की कि उन्होंने भी तो पार्टी तोड़ी थी, वह इसपर सवाल न उठाएँ। बता दें कि 1978 में शरद पवार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसंत दादा पाटिल की सरकार के खिलाफ बगावत की थी।
शरद पवार लगभग 45 साल पहले कांग्रेस से बगावत करते हुए 40 विधायकों को लेकर अलग हो गए थे, इसके चलते पाटिल सरकार गिर गई थी। पवार ने 18 जुलाई 1978 को प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
2. '83 के हो गए, कहीं रुकेंगे या नहीं?'
अजित ने शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा, 'हर पेशे में सेवानिवृत्ति की एक विशेष उम्र होती है। अब आप 83 वर्ष के हैं, आप उस दिन वसंत राव दादा के स्मारक पर गए थे। क्या आप किसी दिन रुकेंगे या नहीं?' उन्होंने बीजेपी की तारीफ़ करते हुए कहा कि 'बीजेपी में 75 साल की उम्र में नेता रिटायर हो जाते हैं। आईएएस अफ़सर 60 में रिटायर हो जाते हैं।'
3. 'आपका बेटा नहीं तो आर्शीवाद नहीं दे रहे'
अजित पवार ने आज अपने चाचा शरद पवार पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि क्या आपका बेटा नहीं हूँ, इसलिए आशीर्वाद नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर वह किसी के पेट से जन्म नहीं ले सके तो इसमें उनकी क्या गलती है।
अजित ने महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा व्यक्त की और इसके लिए अपने चाचा का आशीर्वाद मांगा। उन्होंने कहा, 'मुझे आपसे सारा प्यार मिला। मुझे आपसे बहुत कुछ मिला और मैं पांच बार डिप्टी सीएम बना। यह एक रिकॉर्ड है। लेकिन मैं डिप्टी सीएम ही बनकर रह गया हूं। मैं भी राज्य का नेतृत्व करना और मुख्यमंत्री बनना चाहता हूं।'
4. 'आपके नेतृत्व में एनसीपी क्यों नहीं आगे बढ़ी'
शरद पवार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि एनसीपी आपके नेतृत्व में आगे नहीं बढ़ पाई। उन्होंने सवाल किया कि क्या एनसीपी महाराष्ट्र से कभी आगे ठीक से बढ़ पाई। उन्होंने शरद पवार के नेतृत्व पर सवाल खड़ा किया। अजित ने कहा, '2004 में हमारे पास विधायकों का बहुमत था, लेकिन फिर भी हमें सीएम पद नहीं लेने के लिए कहा गया। अगर हमें तब सीएम पद मिला होता तो महाराष्ट्र में हमेशा एनसीपी का सीएम होता।'
2019 के विधानसभा चुनाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, 'देश के एक बड़े बिजनेसमैन के आवास पर पांच बैठकें हुई थीं। वहां बीजेपी के वरिष्ठ नेता और एनसीपी नेता मौजूद थे। निर्णय लिया गया और मुझे (शपथ ग्रहण समारोह के लिए) जाने के लिए कहा गया। बाद में सब पीछे हट गये और हम शिवसेना के साथ चले गए।'
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मुझे आपने सबके सामने विलेन बना दिया, लेकिन इसके बावजूद आपके प्रति मेरे दिल में सम्मान है।
अजित पवार
5. वापस लेना था तो इस्तीफ़ा क्यों दिया था?
अजित पवार ने कहा, 'पवार साहब ने मुझसे कहा कि वह इस्तीफा देना चाहते हैं और उन विभिन्न संस्थानों की देखभाल करना चाहते हैं जिन्हें उन्होंने स्थापित किया है। उन्होंने मुझे बताया कि वह मेरे सहित राकांपा के वरिष्ठ नेताओं की एक समिति गठित करने की योजना बना रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा कि इसे बैठकर सुप्रिया सुले को पार्टी अध्यक्ष नियुक्त करना चाहिए। हमने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। हालांकि, कुछ दिनों बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। अगर आपने इसे बाद में वापस लेने की योजना बनाई थी तो इस्तीफा देने का क्या मतलब था।'
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