संसद। देश की सबसे ज़्यादा सुरक्षित जगहों में से एक। देश भर के जनप्रतिनिधियों की बैठने की जगह। कम से कम चार स्तर की सुरक्षा। कई मेटल डिटेक्टर्स से गुजरने की ज़रूरत। एक सिक्का तक ले जाने की मनाही। और दो युवा संसद में रंगीन धुआँ फेंकने वाले डिब्बे (बम) लेकर पहुँच गए। अब कहा जा रहा है कि इन दो युवाओं का साथ चार और लोग दे रहे थे। यानी कुल छह लोग थे और इनमें से पाँच पकड़े जा चुके हैं। ललित झा नाम का आरोपी अभी भी गिरफ़्त से दूर है। तो क्या इन छह नौसिखियों ने देश की सबसे सुरक्षित जगहों में से एक संसद की सुरक्षा को भेद दिया? क्या संसद की सुरक्षा इतनी कमजोर है या फिर उस सुरक्षा को भेदने वाली कोई ताक़त मज़बूत थी? इसके पीछे क्या ये छह लोग ही हैं या फिर कोई ताक़तवर हैंडलर भी इनके पीछे है?