बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि उनकी सरकार को कुछ साल पहले एनएसओ समूह का पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदने का प्रस्ताव मिला था, लेकिन उनकी सरकार ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।
ममता ने कहा, वे हमारे पुलिस विभाग में अपना सॉफ्टवेयर (पेगासस स्पाइवेयर) बेचने आए थे। उन्होंने पांच साल पहले इसके लिए 25 करोड़ की मांग की थी। प्रस्ताव मेरे पास आया और मैंने कहा कि नहीं, हम ऐसे सॉफ्टवेयर नहीं खरीदना चाहते।
ताजा ख़बरें
ममता बनर्जी का यह खुलासा उस समय आया है जब सुप्रीम कोर्ट भारत में कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजरायली स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल करने का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर विचार कर रहा है।
ममता बनर्जी ने कहा, अगर यह देश विरोधी गतिविधियों और सुरक्षा के लिए होता तो बात कुछ और होती। लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक कारणों से किया जा रहा है। इसका इस्तेमाल अधिकारियों और जजों पर किया जा रहा है, जो मंजूर नहीं है।
पेगासस मामला क्या है?
पिछले साल, एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठन ने बताया था कि पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल भारत में 300 से अधिक मोबाइल फोन में किया जा रहा था।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और दो केंद्रीय मंत्री (अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद पटेल) उन लोगों में शामिल थे जिनके फोन नंबर लीक हुई सूची में शामिल थे।
जुलाई 2021 में, केंद्र सरकार ने जासूसी के आरोपों को खारिज कर दिया। आईटी मंत्रालय ने कहा कि कोई "अवैध निगरानी" नहीं हुई थी।
देश से और खबरें
उधर पेगासस-निर्माता इजरायली फर्म एनएसओ ग्रुप ने भी कहा था कि इसका स्पाइवेयर आतंकवाद और संगठित अपराध का मुकाबला करने में सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल के लिए था।
इससे पहले इज़रायली सरकार ने 6 फरवरी को घोषणा की थी कि एक समाचार पत्र द्वारा किए गए विस्फोटक दावों की जांच के लिए एक राज्य जांच आयोग का गठन किया जाएगा कि पुलिस बल ने कथित तौर पर शीर्ष सरकारी अधिकारियों, व्यापारिक दिग्गजों, पत्रकारों और सहयोगियों के फोन हैक करने के लिए एक स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया था। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी शामिल थे।
अपनी राय बतायें